HI/670123b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६७]]
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आप ईश्वर को नहीं देख सकते। आप ... आपके लघु प्रयास के द्वारा ईश्वर को नहीं देख सकते। यह संभव नहीं है। ठीक उसी तरह, जैसे मध्यरात्रि, अंधेरे में, सूर्य को देखना संभव नहीं है। आप सूर्य को तभी देख सकते हैं जब सूर्य स्वयं अपने आप को प्रकाशित करता है।
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सूर्य का आपना एक समय है, कहते हैं, ४:३० या ५:00 पूर्वाह्न, सुबह के समय, एकदम प्रकाशित होता है। और जैसे ही सूरज खुद को प्रकट करता है, आप स्वयं को देख सकते हो, आप सूरज को देखसकते हो और आप दुनिया को देखसकते हो। और जब तक आप सूरज को नहीं देख सकते, आप अंधेरे में हो, दुनिया अंधेरे में है और आप कुछ नहीं देख सकते।"|Vanisource:670123 - Lecture CC Madhya 25.36-40 - San Francisco|६७०१२३-प्रवचन-च मध्य २५.३६-40 - सैन फ्रांसिस्को}}
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Latest revision as of 07:48, 22 April 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कोई भी कृष्ण के सर्वोच्च स्वरुप को कैसे देख सकता है? केवल सेवा के माध्यम द्वारा। अन्यथा, कोई संभावना नहीं है। सेवोनुमुखे ही जिह्वादौ (भक्ति-रसामृत-सिंधु १.२.३३४ )। यदि आप में सेवा का भाव हैं, तो भगवान अपने आप को स्वयं ही आप के सम्मुख प्रकट करेंगे। आप भगवान को नहीं देख सकते। आप आपके लघु प्रयास के द्वारा भगवान को नहीं देख सकते। यह संभव नहीं है। ठीक उसी तरह, जैसे मध्यरात्रि, अंधेरे में, सूर्य को देखना संभव नहीं है। आप सूर्य को तभी देख सकते हैं जब सूर्य स्वयं अपने आप को प्रकाशित करता है। सूर्य का अपना एक समय है, कहते हैं, ४:३० या ५:00 पूर्वाह्न, सुबह के समय, वह प्रकाशित होता है। और जैसे ही सूर्य स्वयं को प्रकट करता है, आप अपने आप को देख सकते हैं, आप सूर्य को देख सकते हैं तथा आप दुनिया को देख सकते हैं तथा जब तक आप सूर्य को नहीं देख सकते, आप अंधेरे में हैं, संसार अंधेरे में है और आप कुछ नहीं देख सकते।"
670123 - प्रवचन - चै च मध्य २५.३६-४० - सैन फ्रांसिस्को