HI/680924c बातचीत - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680924R1-SEATTLE_ND_01.mp3</mp3player>| | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680924R1-SEATTLE_ND_01.mp3</mp3player>|अंततः, जो कोई भी कृष्ण भावनामृत मे आता है, चाहे वे पुरुष या महिला, बालक हो या बालिका! उन सभी का स्वागत है। वे बहुत भाग्यशाली हैं। आप यह समझ सकते हैं। इस आंदोलन में प्रत्येक को "प्रभु" कह कर संबोधित किया जाता है, जिसका अर्थ है "आप मेरे स्वामी हैं।" प्रभु का अर्थ है स्वामी। और "प्रभुपाद" का अर्थ है, कई स्वामी जिनके चरण कमल में झुकते हैं। वे प्रभुपाद हैं। इसलिए हर कोई, दूसरों के साथ "मेरे स्वामी" की मानसिकता के रूप में व्यवहार करे। यह ही वैष्णव प्रणाली है।|Vanisource:680924 - Conversation - Seattle|680924 - बातचीत - सिएटल}} |
Latest revision as of 06:08, 29 June 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
अंततः, जो कोई भी कृष्ण भावनामृत मे आता है, चाहे वे पुरुष या महिला, बालक हो या बालिका! उन सभी का स्वागत है। वे बहुत भाग्यशाली हैं। आप यह समझ सकते हैं। इस आंदोलन में प्रत्येक को "प्रभु" कह कर संबोधित किया जाता है, जिसका अर्थ है "आप मेरे स्वामी हैं।" प्रभु का अर्थ है स्वामी। और "प्रभुपाद" का अर्थ है, कई स्वामी जिनके चरण कमल में झुकते हैं। वे प्रभुपाद हैं। इसलिए हर कोई, दूसरों के साथ "मेरे स्वामी" की मानसिकता के रूप में व्यवहार करे। यह ही वैष्णव प्रणाली है। |
680924 - बातचीत - सिएटल |