HI/710816 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 23:12, 24 July 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वातानुकूलित जीवन का मतलब है कि हमारे अंदर चार अयोग्यता होनी चाहिए। वह क्या है? गलती करना, भ्रम में रहना, धोखेबाज़ होना और अपूर्ण इंद्रियों से युक्त होना। यह हमारी योग्यता है। और हम किताबें और दर्शनशास्र लिखना चाहते हैं। देखिये। व्यक्ति अपने स्थिति पर विचार नहीं करता है। अंधा। एक आदमी अंधा है, और वह कह रहा है, 'सब ठीक है, मेरे साथ आओ। मैं सड़क पार करूंगा। आओ'। और अगर कोई मानता है, 'सब ठीक है...'। यह नहीं पूछता कि 'श्रीमान, आप भी अंधे हैं। मैं भी अंधा हूं। आप सड़क पार करने में मेरी मदद कैसे कर सकते हैं?' नहीं, वह भी अंधा है। यह चल रहा है। एक अंधा आदमी, एक धोखेबाज़, एक और अंधे आदमी को धोखा दे रहा है, धोखा। इसलिए मेरे गुरु महाराज कहते थे कि यह भौतिक दुनिया धोखेबाजों और धोका खाये हुओं का एक समाज है। बस इतना ही। धोखेबाज़ और धोका खाये हुओं का संयोजन। मैं धोखा खाना चाहता हूँ क्योंकि मैं ईश्वर को स्वीकार नहीं करता हूँ। यदि ईश्वर है, तो मैं अपने पापमय जीवन के लिए ज़िम्मेदार बन जाता हूँ। इसलिए मुझे ईश्वर को नकारने दो: 'कोई ईश्वर नहीं है', या 'ईश्वर जड़ है'। बस ख़त्म"
710816 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०१.०२ - लंडन