HI/BG 7.12: Difference between revisions
(Bhagavad-gita Compile Form edit) |
No edit summary |
||
Line 6: | Line 6: | ||
==== श्लोक 12 ==== | ==== श्लोक 12 ==== | ||
<div class=" | <div class="devanagari"> | ||
: | :ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये । | ||
: | :मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि ॥१२॥ | ||
</div> | </div> | ||
Line 15: | Line 14: | ||
<div class="synonyms"> | <div class="synonyms"> | ||
ये—जो; च—तथा; एव—निश्चय ही; सात्त्विका:—सतोगुणी; भावा:—भाव; राजसा:—रजोगुणी; तामसा:—तमोगुणी; च—भी; ये—जो; मत्त:—मुझसे; एव—निश्चय ही; इति—इस प्रकार; तान्—उनको; विद्धि—जानो; न—नहीं; तु—लेकिन; अहम्—मैं; तेषु—उनमें; ते—वे; मयि—मुझमें। | |||
</div> | </div> | ||
Line 21: | Line 20: | ||
<div class="translation"> | <div class="translation"> | ||
तुम जान लो कि मेरी शक्ति द्वारा सारे गुण प्रकट होते हैं, चाहे वे सतोगुण हों, रजोगुण हों या तमोगुण हों | एक प्रकार से मैं सब कुछ हूँ, किन्तु हूँ स्वतन्त्र | मैं प्रकृति के गुणों के अधीन नहीं हूँ, अपितु वे मेरे अधीन हैं | | |||
</div> | </div> | ||
Line 27: | Line 26: | ||
<div class="purport"> | <div class="purport"> | ||
संसार के सारे भौतिक कार्यकलाप प्रकृति के गुणों के अधीन सम्पन्न होते हैं | यद्यपि प्रकृति के गुण परमेश्र्वर कृष्ण से उद्भूत हैं, किन्तु भगवान् उनके अधीन नहीं होते | उदाहरणार्थ, राज्य के नियमानुसार कोई दण्डित हो सकता है, किन्तु नियम बनाने वाला राजा उस नियम के अधीन नहीं होता | इसी प्रकार प्रकृति के सभी गुण – सतो, रजो तथा तमोगुण – भगवान् कृष्ण से उद्भूत हैं, किन्तु कृष्ण प्रकृति के अधीन नहीं हैं | इसीलिए वे निर्गुण हैं, जिसका तात्पर्य है कि सभी गुण उनसे उद्भूत हैं, किन्तु ये उन्हें प्रभावित नहीं करते | यह भगवान् का विशेष लक्षण है | | |||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 16:06, 4 August 2020
श्लोक 12
- ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये ।
- मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि ॥१२॥
शब्दार्थ
ये—जो; च—तथा; एव—निश्चय ही; सात्त्विका:—सतोगुणी; भावा:—भाव; राजसा:—रजोगुणी; तामसा:—तमोगुणी; च—भी; ये—जो; मत्त:—मुझसे; एव—निश्चय ही; इति—इस प्रकार; तान्—उनको; विद्धि—जानो; न—नहीं; तु—लेकिन; अहम्—मैं; तेषु—उनमें; ते—वे; मयि—मुझमें।
अनुवाद
तुम जान लो कि मेरी शक्ति द्वारा सारे गुण प्रकट होते हैं, चाहे वे सतोगुण हों, रजोगुण हों या तमोगुण हों | एक प्रकार से मैं सब कुछ हूँ, किन्तु हूँ स्वतन्त्र | मैं प्रकृति के गुणों के अधीन नहीं हूँ, अपितु वे मेरे अधीन हैं |
तात्पर्य
संसार के सारे भौतिक कार्यकलाप प्रकृति के गुणों के अधीन सम्पन्न होते हैं | यद्यपि प्रकृति के गुण परमेश्र्वर कृष्ण से उद्भूत हैं, किन्तु भगवान् उनके अधीन नहीं होते | उदाहरणार्थ, राज्य के नियमानुसार कोई दण्डित हो सकता है, किन्तु नियम बनाने वाला राजा उस नियम के अधीन नहीं होता | इसी प्रकार प्रकृति के सभी गुण – सतो, रजो तथा तमोगुण – भगवान् कृष्ण से उद्भूत हैं, किन्तु कृष्ण प्रकृति के अधीन नहीं हैं | इसीलिए वे निर्गुण हैं, जिसका तात्पर्य है कि सभी गुण उनसे उद्भूत हैं, किन्तु ये उन्हें प्रभावित नहीं करते | यह भगवान् का विशेष लक्षण है |