HI/741109 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 17:50, 17 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हम जीवित संस्थाएँ हैं, हम नित्य हैं। न हन्यते हन्यमाने शरीरे (भ.गी.२.२०)। हम नहीं मरते। न जायते म्रियते वा । न तो हम जन्म लेते हैं और न ही हम मरते हैं।" बस शरीर को बदलें। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय (भ.गी. २.२२)। जैसे पुराने कपड़ों, पुरानी शर्ट और कोट को, हम बदलते हैं, इसी तरह, जब यह शरीर काफी पुराना हो जाता है, तो इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, हम एक और नए शरीर में बदल जाते हैं। तथा देहान्तरप्राप्ति (भ.गी.२.१३)। यह वास्तविक ज्ञान है।" |
741109 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.०९ - बॉम्बे |