HI/730707 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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वैसे ही जो धर्म छल पर आधारित है, उन्हें भी निकल देना चाहिए। यह ऐसा धर्म नही, "यह धर्म", "वो धर्म"। कोई भी धर्म हो, यदि उसमे ईर्ष्या है, तो वह धर्म नही।" | वैसे ही जो धर्म छल पर आधारित है, उन्हें भी निकल देना चाहिए। यह ऐसा धर्म नही, "यह धर्म", "वो धर्म"। कोई भी धर्म हो, यदि उसमे ईर्ष्या है, तो वह धर्म नही।" | ||
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Revision as of 10:15, 30 June 2024
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो यह कृष्ण चेतना आंदोलन उन लोगो के लिए नही है जो ईर्ष्यावान है। यह आंदोलन लोगो को सीखने के लिए है की ईर्ष्यावन कैसे न बने। यह एक बहुत अच्छा वैज्ञानिक आंदोलन है। ईर्ष्यावान बनने के लिए नही। इसीलिए श्रीमद भागवतम के आरंभ में ही बताया गया है, धर्मः प्रोज्झित कैतवो अत्र (श्री.भा. १.१.२)। इस श्रीमद भागवतम में धर्म, छल के ऊपर आधारित धर्म पूर्णतः से निष्कासित करे गए है, त्याग दिए गए है, प्रोज्झित। प्रोज्झित, बर्खास्त कर दिए गए है, । जैसे आप झाड़ू लगाते समय कमरे में से सारी मेल निकाल कर इकट्ठा करते है उसे बाहर फेंक देते है, उसे कमरे में नही रखते।
वैसे ही जो धर्म छल पर आधारित है, उन्हें भी निकल देना चाहिए। यह ऐसा धर्म नही, "यह धर्म", "वो धर्म"। कोई भी धर्म हो, यदि उसमे ईर्ष्या है, तो वह धर्म नही।" |
730707 - प्रवचन भ.गी ०१.०१ - लंडन |