HI/770208 - बलि मर्दन को लिखित पत्र, मायापुर: Difference between revisions

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8 फरवरी, 1977
8 फरवरी, 1977


इस्कॉन, पी.ओ. 170 बॉक्स, अलेक्जेंड्रिया, एन.एस.डब्ल्यू
इस्कॉन, पी.ओ. 170 बॉक्स, अलेक्जेंड्रिया, एन.एस.डब्ल्यू<br/>


पी.ओ. श्रीधाम मायापुर
पी.ओ. श्रीधाम मायापुर<br/>
जिला नादिया, पश्चिम बंगाल, भारत
जिला नादिया, पश्चिम बंगाल, भारत<br/>


प्रिय बलि मर्दन,
प्रिय बलि मर्दन,

Revision as of 09:33, 9 March 2019

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda



8 फरवरी, 1977

इस्कॉन, पी.ओ. 170 बॉक्स, अलेक्जेंड्रिया, एन.एस.डब्ल्यू

पी.ओ. श्रीधाम मायापुर
जिला नादिया, पश्चिम बंगाल, भारत

प्रिय बलि मर्दन,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा 19 जनवरी का पत्र मिला और मैंने उसे पढ़ा है।

अपने पत्र में तुम सूचना दे रहे हो कि तुम दो भूमिखण्ड क्रय करने पर विचार कर रहे हो, नगर में 145,000 डॉलर का एक मन्दिर और 80,000 डॉलर कीमत का एक 800 एकड़ का खेत। हालांकि यह पत्र मिलने से पूर्व मुझे तुम्हारा तार मिला, यह बताते हुए कि तुमने दोनो भूमियों पर अनुबन्ध पूरे कर लिए हैं। तुम बी बी टी से 125,000 डॉलर(ऑस्ट्रेलियाई डॉलर) के ऋण का आग्रह करते हो, लेकिन मालुम होता है कि तुम क्रय कर ही चुके हो। यदि तुम खरीददारी कर चुके हो तो निश्चय ही क्रय करना होगा और ऋणों का प्रबन्ध भी। जब तुम मायापुर उत्सव में आओगे उस समय तुम यह बात जी बी सी के समक्ष और विस्तार से रख सकते हो।

यह परेशानी की बात है कि सैन फ्रांसिस्को प्रेसिडेंट ने, गुप्त रूप से, भक्तों को ऑस्ट्रेलिया छोड़ देने के लिए राज़ी कर लिया और वे लौटाए नहीं गए हैं। मैंने अपने सेक्रेटरी से आग्रह किया है कि मेरी ओर से, सैन फ्रांसिस्को में चारु दास को एक पत्र लिखे। अब यह मुद्दा जी बी सी की आम बैठक में उठाना होगा और वे जो भी निर्णय लेंगे उसे तुम्हें मानना होगा। यह सब बन्द होना चाहिए। यदि तुम आपस में लड़ते रहोगे फिर मैं क्या कर सकता हूँ? इस झगड़े से सब कुछ नष्ट हो जाएगा।

जहाँ तक तुष्ट कृष्ण स्वामी और सिद्धस्वरूप द्वारा इस्कॉन के विरुद्ध किए जा रहे प्रचार का विषय है, वह एक और उपद्रव है। यह मुद्दा और न्यु ज़ीलैण्ड के प्रेसिडेन्ट का स्वयं को न्यु ज़ीलैण्ड का जी बी सी मान लेने का विषय, ये सब बातें जी बी सी बैठक को सौंप दी जाएंगी। अगर फिर भी वे इस्कोन की आलोचना करते रहते हैं, तो हम उनके साथ सहयोग नहीं करेंगे। आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी