HI/680612 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Revision as of 11:38, 26 May 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
तो हर जीव का प्राकृतिक लक्षण है सेवा करना । यह उसका प्राकृतिक लक्षण है । हम में से हर कोई जो इस सभा में बैठा है, कोई भी यह नहीं कह सकता है कि "मैं नौकर नहीं हूँ ।" हम में से हर एक नौकर है । सर्वोच्च व्यक्ति तक, आपके प्रधान मंत्री, या अमेरिका, राष्ट्रपति, हर कोई नौकर है । कोई भी दावा नहीं कर सकता है कि "मैं नौकर नहीं हूँ ।" इसलिए, या तो आप ईसाई हैं या तो आप हिंदू हैं, या तो आप मुसलमान है, लेकिन आपको सेवा तो करनी ही होगी । ऐसा नहीं है क्योंकि व्यक्ति ईसाई या हिंदू है, उसे सेवा नहीं करनी है । |
680612 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - मॉन्ट्रियल |