HI/680811c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:40, 8 June 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
हरे का अर्थ है कृष्ण की शक्ति को संबोधित करना, और कृष्ण स्वयं भगवान हैं । इसलिए हम संबोधित कर रहे हैं, "हे कृष्ण की शक्ति, हे कृष्ण, राम, हे परम भोक्ता, और हरे, एक ही शक्ति, आध्यात्मिक शक्ति ।" हमारी प्रार्थना है, "कृपया मुझे आपकी सेवा में संलग्न करें ।" हम सभी किसी न किसी सेवा में लगे हुए हैं । इसमें तो कोई शंका नहीं है । लेकिन हम पीड़ित हैं । माया को सेवा प्रदान करके, हम पीड़ित हैं । माया का अर्थ है वह सेवा जो हम किसी को प्रदान करते हैं, वो व्यक्ति संतुष्ट नहीं है; और आप भी सेवा प्रदान कर रहे हैं - आप संतुष्ट नहीं हैं । वह आपसे संतुष्ट नहीं है; आप उससे संतुष्ट नहीं हैं । इसे माया कहा जाता है । |
680811 - प्रवचन ब्राह्मण दीक्षा - मॉन्ट्रियल |