HI/681023 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९६८ Category:HI/अम...") |
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681023SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>| | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/681021e प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|681021e|HI/681023b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|681023b}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681023SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|तो परिवार और बच्चों के साथ बने रहना जीवन की आध्यात्मिक उन्नति के लिए कोई अयोग्यता नहीं है । यह एक अयोग्यता नहीं है, क्योंकि आखिरकार, व्यक्ति अपने पिता और माता से ही अपना जन्म लेना पड़ता है । सभी महान आचार्य, महान आध्यात्मिक नेता, आखिरकार, वे पिता और माता से आए हैं । इसलिये पिता और माता के संयोजन के बिना, एक महान आत्मा के इस दुनिया में आने की कोई संभावना नहीं है । महान आत्माओं के कई उदाहरण हैं, जैसे कि शंकराचार्य, प्रभु यीशु मसीह, रामानुजाचार्य । इनके पास कोई बहुत उच्च वंशानुगत शीर्षक नहीं था, फिर भी, वे गृहस्थ पिता और माता से आये । अतः गृहस्थ, या गृहस्थ जीवन, अयोग्यता नहीं है ।|Vanisource:681023 - Lecture SB 02.01.02-5 - Montreal|681023 - प्रवचन श्री.भा. २.१.२-५ - मॉन्ट्रियल}} |
Revision as of 00:07, 29 January 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
तो परिवार और बच्चों के साथ बने रहना जीवन की आध्यात्मिक उन्नति के लिए कोई अयोग्यता नहीं है । यह एक अयोग्यता नहीं है, क्योंकि आखिरकार, व्यक्ति अपने पिता और माता से ही अपना जन्म लेना पड़ता है । सभी महान आचार्य, महान आध्यात्मिक नेता, आखिरकार, वे पिता और माता से आए हैं । इसलिये पिता और माता के संयोजन के बिना, एक महान आत्मा के इस दुनिया में आने की कोई संभावना नहीं है । महान आत्माओं के कई उदाहरण हैं, जैसे कि शंकराचार्य, प्रभु यीशु मसीह, रामानुजाचार्य । इनके पास कोई बहुत उच्च वंशानुगत शीर्षक नहीं था, फिर भी, वे गृहस्थ पिता और माता से आये । अतः गृहस्थ, या गृहस्थ जीवन, अयोग्यता नहीं है । |
681023 - प्रवचन श्री.भा. २.१.२-५ - मॉन्ट्रियल |