HI/690331 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690331SB-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|" हम माया को क्या कहते है... मा का अर्थ है "नहीं," और या मतलब "ये।" आप जो तथ्य के रूप में स्वीकार कर रहे हैं, यह एक तथ्य नहीं है, इसे माया कहा जाता है। माँ या। "इसे सत्य के रूप में स्वीकार न करें" यह केवल अस्थिर चमक है। जैसे ही सपने में हम बहुत सी चीजें देखते हैं, और सुबह हम सबकुछ भूल जाते हैं ।यह सूक्ष्म सपना है ।और यह अस्तित्व, यह शारीरिक अस्तित्व और शारीरिक संबंध-समाज, दोस्ती और प्यार और इतनी सारी चीजें हैं-वे भी एक सपना हैं। यह खत्म हो जाएगा... यह रह जाएगा... जैसे ही स्वप्न, कुछ ही मिनटों या कुछ घंटों के लिए ही रहता है, इसी तरह, यह सकल सपना भी कुछ साल के लिए ही रहेगा।
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बस उतना ही । यह भी सपना है, लेकिन वास्तव में हम उस व्यक्ति से संपृक्त हैं जो सपना देख रहा है, या कौन अभिनय कर रहा है। इसलिए हमें उसे इस सपने से बाहर निकालना है , सूक्ष्म और शारीरिक । यह प्रस्ताव है । यह चीज़ बोहोत आसानी से कृष्ण चेतना के प्रक्रिया से किया जा सकता है, और इसे प्रहलाद महाराज ने समझाया है।"|Vanisource:690331 - Lecture SB 07.06.09-17 - San Francisco|690331 - Lecture SB 07.06.09-17 - San Francisco}}
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690330 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हवाई में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690330|HI/690401 बातचीत - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690401}}
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690331SB-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|जिसे हम माया कहते है... मा का अर्थ है "नहीं," और या मतलब "ये" । जिसे आप तथ्य के रूप में स्वीकार कर रहे हैं, वह एक तथ्य नहीं है, इसे माया कहा जाता है । मा-या । माया का अर्थ है "इसे सत्य के रूप में स्वीकार न करें " यह केवल अस्थिर चमक है । जैसे की स्वप्न में हम बहुत सी चीजें देखते हैं, और सुबह हम सबकुछ भूल जाते हैं । यह सूक्ष्म स्वप्न है । और यह अस्तित्व, यह शारीरिक अस्तित्व और शारीरिक संबंध - समाज, दोस्ती और प्रेम और इतनी सारी चीजें - वे भी एक स्थूल स्वप्न हैं । यह खत्म हो जाएगा... यह रहेगा... जैसे स्वप्न, कुछ ही मिनटों या कुछ घंटों के लिए ही रहता है, इसी तरह, यह स्थूल स्वप्न भी कुछ साल के लिए ही रहेगा । बस उतना ही । यह भी स्वप्न है लेकिन वास्तव में हम उस व्यक्ति से चिंतित हैं जो स्वप्न देख रहा है, या जो अभिनय कर रहा है । तो हमें उसे इस स्वप्न से बाहर निकालना है, सूक्ष्म और शारीरिक । यह प्रस्ताव है । तो यह चीज़ बहुत आसानी से कृष्ण भावनामृत की प्रक्रिया से किया जा सकता है, और इसे प्रहलाद महाराज ने समझाया है ।|Vanisource:690331 - Lecture SB 07.06.09-17 - San Francisco|690331 - प्रवचन श्री.भा. ७..-१७ - सैन फ्रांसिस्को}}

Revision as of 23:20, 8 May 2020

Nectar Drops from Srila Prabhupada
जिसे हम माया कहते है... मा का अर्थ है "नहीं," और या मतलब "ये" । जिसे आप तथ्य के रूप में स्वीकार कर रहे हैं, वह एक तथ्य नहीं है, इसे माया कहा जाता है । मा-या । माया का अर्थ है "इसे सत्य के रूप में स्वीकार न करें ।" यह केवल अस्थिर चमक है । जैसे की स्वप्न में हम बहुत सी चीजें देखते हैं, और सुबह हम सबकुछ भूल जाते हैं । यह सूक्ष्म स्वप्न है । और यह अस्तित्व, यह शारीरिक अस्तित्व और शारीरिक संबंध - समाज, दोस्ती और प्रेम और इतनी सारी चीजें - वे भी एक स्थूल स्वप्न हैं । यह खत्म हो जाएगा... यह रहेगा... जैसे स्वप्न, कुछ ही मिनटों या कुछ घंटों के लिए ही रहता है, इसी तरह, यह स्थूल स्वप्न भी कुछ साल के लिए ही रहेगा । बस उतना ही । यह भी स्वप्न है । लेकिन वास्तव में हम उस व्यक्ति से चिंतित हैं जो स्वप्न देख रहा है, या जो अभिनय कर रहा है । तो हमें उसे इस स्वप्न से बाहर निकालना है, सूक्ष्म और शारीरिक । यह प्रस्ताव है । तो यह चीज़ बहुत आसानी से कृष्ण भावनामृत की प्रक्रिया से किया जा सकता है, और इसे प्रहलाद महाराज ने समझाया है ।
690331 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.९-१७ - सैन फ्रांसिस्को