HI/690716b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690716DI-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"उस समय सनातन गोस्वामी के पास कोई मंदिर नहीं था; वह पेड़ पर कृष्ण को लटका के रख रहे थे । इसलिए मदन-मोहन उससे बात कर रहे थे, 'सनातन, तुम यह सब सुक्खी रोटियां ला रहे हो, और यह पुराणी  है, और आप नहीं देते मुझे थोड़ा नमक भी। मैं कैसे खा सकता हूं? सनातन गोस्वामी ने कहा, 'स्वामी, मैं कहाँ जाऊँगा? जो कुछ भी मुझे मिलता है मैं आपको देता हूं। आप कृपया स्वीकार करे । मैं नहीं हिल सकता; बूढ़ा आदमी।' तुम देखते हो। तो कृष्ण को वह खाना पड़ेगा। (दबी हुई हंसी) क्योंकि भक्त चढ़ा रहा है, वह मना नहीं कर सकता। ये मां भक्त्या प्रयछ्ती । असली बात भक्ति है। आप कृष्ण को क्या पेशकश कर सकते हैं? सब कुछ कृष्ण से संबंधित है। आपको क्या मिला है? तुम्हारा क्या मूल्य है? और तुम्हारी चीजों का क्या महत्व है? यह कुछ भी नहीं है। इसलिए असली बात भक्ति है; असली बात तुम्हारी भावना है। 'कृष्ण, कृपया इसे ले लो। मुजमे  कोई योग्यता नहीं है। मैं सबसे सड़ा हुआ, गिर गया हूं, लेकिन (रोते है) मैंने यह चीज़ तुम्हारे लिए लाई है। कृपया ले लो। यह स्वीकार किया जाएगा। फुसफुसाओ मत। हमेशा सावधान रहें। आप कृष्ण से बात कर रहे हैं। यह मेरा अनुरोध है। बहुत धन्यवाद... (रोते है)"|Vanisource:690716 - Lecture Festival Installation, Sri Sri Rukmini Dvarakanatha - Los Angeles|690716 - Lecture Festival Installation, Sri Sri Rukmini Dvarakanatha - Los Angeles}}
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690716DI-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|उस समय सनातन गोस्वामी के पास कोई मंदिर नहीं था; वह अपने विग्रह को वृक्ष पे लटका के रख रहे थे । तो मदन-मोहन उनसे बात कर रहे थे, 'सनातन, तुम यह सब सूखी रोटियां अर्पण कर रहे हो, और यह बासी है, और तुम मुझे थोड़ा नमक भी नहीं देते । मैं कैसे खा सकता हूं ?' सनातन गोस्वामी कहते, 'प्रभु, मैं कहाँ जाऊँ ? जो कुछ भी मुझे मिलता है मैं आपको देता हूं । आप कृपया स्वीकार करे । मैं बूढ़ा आदमी, हिल भी नहीं सकता ' आप देखिए । तो कृष्ण को वह खाना पड़ता । (मंद हसते हुए) क्योंकि भक्त अर्पण कर रहे है, वह मना नहीं कर सकते । ये माम भक्त्या प्रयच्छती । असली चीज़ भक्ति है । आप कृष्ण को क्या अर्पण कर सकते हैं ? सब कुछ कृष्ण का है । आपके पास क्या है ? आपका मूल्य क्या है? और आपकी चीजों का मूल्य क्या है ? यह कुछ भी नहीं है । इसलिए असली चीज़ भक्ति है ; असली चीज़ है आपकी भावना 'कृष्ण, कृपया इसे स्वीकार करे । मुझ में कोई योग्यता नहीं है । मैं सबसे सड़ा हुआ, पतित हूँ, लेकिन (रोते हुए) मैं यह चीज़ आपके लिए लाया हूँ । कृपया स्वीकार करें । यह स्वीकार किया जाएगा । घमंड मत करो । हमेशा सावधान रहो । आप कृष्ण से व्यवहार कर रहे हैं । यह मेरा अनुरोध है । बहुत धन्यवाद... (रोते है)|Vanisource:690716 - Lecture Festival Installation, Sri Sri Rukmini Dvarakanatha - Los Angeles|690716 - प्रवचन श्री श्री रुकमिणी द्वारकानाथ प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव - लॉस एंजेलेस}}

Revision as of 23:04, 12 June 2020

Nectar Drops from Srila Prabhupada
उस समय सनातन गोस्वामी के पास कोई मंदिर नहीं था; वह अपने विग्रह को वृक्ष पे लटका के रख रहे थे । तो मदन-मोहन उनसे बात कर रहे थे, 'सनातन, तुम यह सब सूखी रोटियां अर्पण कर रहे हो, और यह बासी है, और तुम मुझे थोड़ा नमक भी नहीं देते । मैं कैसे खा सकता हूं ?' सनातन गोस्वामी कहते, 'प्रभु, मैं कहाँ जाऊँ ? जो कुछ भी मुझे मिलता है मैं आपको देता हूं । आप कृपया स्वीकार करे । मैं बूढ़ा आदमी, हिल भी नहीं सकता ।' आप देखिए । तो कृष्ण को वह खाना पड़ता । (मंद हसते हुए) क्योंकि भक्त अर्पण कर रहे है, वह मना नहीं कर सकते । ये माम भक्त्या प्रयच्छती । असली चीज़ भक्ति है । आप कृष्ण को क्या अर्पण कर सकते हैं ? सब कुछ कृष्ण का है । आपके पास क्या है ? आपका मूल्य क्या है? और आपकी चीजों का मूल्य क्या है ? यह कुछ भी नहीं है । इसलिए असली चीज़ भक्ति है ; असली चीज़ है आपकी भावना । 'कृष्ण, कृपया इसे स्वीकार करे । मुझ में कोई योग्यता नहीं है । मैं सबसे सड़ा हुआ, पतित हूँ, लेकिन (रोते हुए) मैं यह चीज़ आपके लिए लाया हूँ । कृपया स्वीकार करें । यह स्वीकार किया जाएगा । घमंड मत करो । हमेशा सावधान रहो । आप कृष्ण से व्यवहार कर रहे हैं । यह मेरा अनुरोध है । बहुत धन्यवाद... (रोते है)
690716 - प्रवचन श्री श्री रुकमिणी द्वारकानाथ प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव - लॉस एंजेलेस