HI/720624 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 23:13, 8 August 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो किसी ने सत्य को देखा होगा, सत्य को महसूस किया होगा। तद विग्नयानार्थं स गुरुम एवाभिगच्छेत (? १.२.१२)। यही गुरु है, मतलब जिसने सत्य को देखा हो। उसने सत्य को कैसे देखा है? परम्परा प्रणाली के माध्यम से। कृष्ण ने यह बात कही, और फिर ब्रह्मा ने भी वही बात कही, तब नारद ने वही बात कही, व्यासदेव ने वही बात कही, और फिर शिष्य परम्परा, मध्वाचार्य, माधवेंद्र पुरी, इश्वर पुरी, भगवान चैतन्य, षड गोस्वामी, कृष्णदास कविराज गोस्वामी, श्रीनिवास आचार्य, नरोत्तमदास दासा ठाकुरा, विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुरा-इस तरह से-जगन्नाथ दासा बाबाजी, गौरा किशोर दासा बाबाजी, भक्तिसिद्धान्ता सरस्वती। तो हम भी वही बोल रहे हैं। ये नहीं कि 'क्यूंकि हम आधुनिक हैं, हम, आधुनिक विज्ञान बदल गया है'। कुछ भी नहीं बदला है। यह सब मूर्खता है।"
720624 - प्रवचन श्री.भा. ०२.०४.०१ - लॉस एंजेलेस