HI/721027 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 23:22, 31 August 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"एक भक्त, उन्होंने चैतन्य महाप्रभु से अनुरोध किया, 'मेरे भगवान, आप आए हैं। कृपया इस ब्रह्मांड के सभी लोगों को मुक्त करें, और यदि वे पापी हैं, तो उनके सभी पाप मैं ले सकूं, लेकिन उनका उद्धार हो सके।" यह वैष्णव् तत्त्व है। 'प्रभु की कृपा से दूसरों का उद्धार हो, मैं नरक में सड़ सकता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’ ये नहीं है कि 'सबसे पहले मैं स्वर्ग जाऊं, और अन्य सड़ सकें'। यह वैष्णव् तत्त्व नहीं है। वैष्णव् तत्त्व है, 'मैं नरक में सड़ सकता हूं, लेकिन दूसरों को मोक्ष प्राप्त हो'। पतितानाम पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नमः (मंगलाचरणा ९)। वैष्णव सभी पतित आत्माओं के उद्धार के लिए है।" |
721027 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०२.१६ - वृंदावन |