HI/740113 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/740112 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|740112|HI/740131 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हॉगकॉग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|740131}}
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Latest revision as of 23:01, 4 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वास्तव में धार्मिक सिद्धांत इस युग में खो गया है, और धार्मिक बने बिना कोई मानव समाज नहीं है; यह पशु समाज है। यह जानवर और आदमी के बीच का अंतर है: बिल्लि और कुत्ते, उनका कोई चर्च नहीं है, उनका कोई मंदिर नहीं है, उनका कोई मस्जिद नहीं है। वे नग्न हैं, सड़क पर घूम रहे हैं, सड़क पर संभोग कर रहे हैं। कोई प्रतिबंध नहीं है-जैसे चाहे वैसे जी सकते हैं, जो चाहे वो कर सकते हैं। वह पशु जीवन है, पशु। धर्मेण हीना पशुभिः समानाः। यदि धार्मिक सिद्धांत स्वीकार नहीं किये जाते हैं, मानव समाज में अभाव है, नारकै उपा(?) कल्पते। यह नरा बन जाता है, नरक।"
740113 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०६.१८ - लॉस एंजेलेस