HI/701110 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/701110SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|“ईश्र्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति ([[Vanisource:BG 18.61)|BG 18.61]]). वह सबके हृदय में स्थित है। अण्ड अन्तरस्थ परमाणु च अन्तरस्थं (Bs. 5.35). वह इस ब्रह्मांड के भीतर है और वह परमाणु के भीतर भी है।  वह परमात्मा बोध है। सर्वत्र, सर्व-व्यापी। गोलोक एव निवसति अखिलात्म भूतो (Bs. 5.37). यद्यपि वह अपने गोलोक वृंदावन धाम में स्थित है, वह हर जगह है। वह हर जगह का पहलू है परमात्मा। और वह गोलोक वृंदावन-स्थति भगवन् है। ”|Vanisource:701110 - Lecture SB 06.01.14 - Bombayy|701110 - प्रवचन SB 06.01.14 - बॉम्बे}}
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/701110SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|ईश्वर: सर्वभूतानां हृद्देशे अर्जुन तिष्ठति ([[HI/BG 18.61|भ.गी. १८.६१]]) । वे सबके हृदय में स्थित है । अंडान्तरस्थ परमाणु चयान्तरस्थम (ब्र.सं. .३५) । वे इस ब्रह्मांड के भीतर है और वे परमाणु के भीतर भी है । ये परमात्मा बोध है । सर्वत्र, सर्व-व्यापी । गोलोक एव निवसति अखिलात्म भूतो (ब्र.सं. ५.३७) यद्यपि वे अपने गोलोक वृंदावन धाम में स्थित है, वे हर जगह है । वह हर जगह का पहलू है - परमात्मा । और वह गोलोक वृंदावन-स्थिति भगवान् है ।|Vanisource:701110 - Lecture SB 06.01.14 - Bombayy|701110 - प्रवचन श्री.भा. ६..१४ - बॉम्बे}}

Revision as of 17:42, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
ईश्वर: सर्वभूतानां हृद्देशे अर्जुन तिष्ठति (भ.गी. १८.६१) । वे सबके हृदय में स्थित है । अंडान्तरस्थ परमाणु चयान्तरस्थम (ब्र.सं. ५.३५) । वे इस ब्रह्मांड के भीतर है और वे परमाणु के भीतर भी है । ये परमात्मा बोध है । सर्वत्र, सर्व-व्यापी । गोलोक एव निवसति अखिलात्म भूतो (ब्र.सं. ५.३७) । यद्यपि वे अपने गोलोक वृंदावन धाम में स्थित है, वे हर जगह है । वह हर जगह का पहलू है - परमात्मा । और वह गोलोक वृंदावन-स्थिति भगवान् है ।
701110 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.१४ - बॉम्बे