HI/720221 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद विशाखापट्नम में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/720221LE-VISAKHAPATNAM_ND_01.mp3</mp3player>|"कृष्ण भगवद गीता में कहते है; | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/720221LE-VISAKHAPATNAM_ND_01.mp3</mp3player>|"कृष्ण भगवद गीता में कहते है; | ||
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Latest revision as of 17:45, 17 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कृष्ण भगवद गीता में कहते है;
तथ्य यह है की उसे कृष्ण-चेतना को स्वीकार करना है,फिर इसकी परवाह नहीं है की उसका जन्म कहा हुआ है। वह पारलौकिक जीवन की उच्चतम स्थिति में उन्नत हो सकता है।" |
७२०२२१ - प्रवचन - आंध्रा कॉलेज - विशाखापट्नम |