HI/730710 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 17:47, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
“भौतिक संसार का अर्थ है ये पांच तत्व, स्थूल और सूक्ष्म। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, ये स्थूल हैं। और मन, बुद्धि और अहंकार, ये सूक्ष्म हैं। ये तत्व, भौतिक तत्व, कृष्ण कहते हैं, भिन्ना मे प्रकृतिरष्टधा (भ.गी.७.४): 'ये भौतिक तत्व, वे अलग हो गए हैं, लेकिन वे मेरी ऊर्जा हैं। वे मेरी ऊर्जा हैं।' इसी तरह का उदाहरण: बस बादल की तरह है। बादल सूरज द्वारा बनाया गया है। यह सूरज की ऊर्जा है जो बादल बनाता है। आपको पता है। तापमान से समुद्री जल वाष्पित होता है, गैस बनता है। वह बादल है। इसलिए सूरज की ऊर्जा से बादल बनते हैं, लेकिन जब बादल होते हैं तो आप सूरज को नहीं देख सकते हैं; सूरज ढंका हुआ है। इसी तरह, भौतिक ऊर्जा कृष्ण की ऊर्जा है। लेकिन जब आप इस भौतिक ऊर्जा से आच्छादित हो जाते हैं, तो आपको कृष्ण दिखाई नहीं देते। यही स्थिति है।”

730710 - प्रवचन भ.गी. ०१.०४-५ - लंडन