HI/731203 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 17:48, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यहाँ, मनुष्य अज्ञानता में, वे काम, वासना, लालच, मोह, क्रोध - इतनी सारी चीजें को सेवा दे रहे हैं। वे सेवा कर रहे हैं। एक व्यक्ति वासना, इच्छाओं द्वारा या भ्रम द्वारा एक और शरीर को मार रहा है। इतने सारे अन्य कारण। इसलिए हम सेवा कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। हम सेवा कर रहे हैं। लेकिन हम अपने काम, क्रोध, लोभ, मोह, मात्सर्य की कामना कर रहे हैं। वासना, कामना, वैराग्य, ऐसा ही है। अब हमें सीखना होगा कि हम बहुत सी चीजों की सेवा करके निराश हो चुके हैं। अब हमें उस सेवा के रवैये को कृष्ण की ओर मोड़ना होगा। वह कृष्ण का मिशन है। सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज (भ.गी. १८.६६): "आप पहले से ही सेवा कर रहे हैं। आप सेवा से मुक्त नहीं हो सकते। लेकिन आपकी सेवा गलत है। इसलिए आप बस अपनी सेवा को चालू करते हैं, मेरे लिए, तब आप खुश हो सकते हैं।" वह कृष्ण चेतना आंदोलन है।"
731203 - प्रवचन श्री.भा. ०१.१५.२४ - लॉस एंजेलेस