HI/741103 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७४ Category:HI/अ...") |
(Vanibot #0019: LinkReviser - Revise links, localize and redirect them to the de facto address) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७४]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९७४]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/741103SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"तो हमारा कार्य कृष्ण तत्त्व को समझने का है, सत्य में, सतही नहीं। तब हमारा जीवन सफल होता है। जनम कर्म में दिव्यम यो | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/740928 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|740928|HI/741107 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|741107}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/741103SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"तो हमारा कार्य कृष्ण तत्त्व को समझने का है, सत्य में, सतही नहीं। तब हमारा जीवन सफल होता है। जनम कर्म में दिव्यम यो जानती तत्त्वतः([[HI/BG 4.9|भ.गी.४.९]]) सतही तौर पर नहीं, सत्य को समझने के लिए।" | |||
|Vanisource:741103 - Lecture SB 03.25.03 - Bombay|741103 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.०३ - बॉम्बे}} | |Vanisource:741103 - Lecture SB 03.25.03 - Bombay|741103 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.०३ - बॉम्बे}} |
Latest revision as of 17:50, 17 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो हमारा कार्य कृष्ण तत्त्व को समझने का है, सत्य में, सतही नहीं। तब हमारा जीवन सफल होता है। जनम कर्म में दिव्यम यो जानती तत्त्वतः(भ.गी.४.९) सतही तौर पर नहीं, सत्य को समझने के लिए।"
|
741103 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.०३ - बॉम्बे |