HI/760204 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 17:52, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मनुष्य को यह समझना चाहिए कि 'मैं मूढ़ा हूँ, इसलिए मुझे सीखना होगा'। और वेद कहते हैं, 'फिर गुरु के पास जाओ'। तद विग्नयानार्थं सा गुरुम एवाभिगच्छेत (मुण्डक उपनिषद् १.२.१२) 'आपको जाना चाहिए यदि आप सीखना चाहते हैं। और यदि वह मूढ़ा रहता है और अटकलें लगाता है, तो वह मूढ़ा ही रहता है। उसे कभी प्रबोधन नहीं मिलता है। वह लगातार... रहता है मूढ़ जन्मनि जन्मनि मां अप्राप्यैव (भ.गी. १६.२०)। वह भगवान को पा नहीं सकता है। हर एक जीवन में वह ऐसा ही रहेगा, मूढ़ा।"
760204 - सुबह की सैर - मायापुर