HI/681018b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items)
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - सिएटल]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - सिएटल]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681018LE-SEATTLE_ND_02.mp3</mp3player>|"जैसे हजारों और हजारों मील दूर आप टेलीविजन चित्र या अपनी रेडियो ध्वनि स्थानांतरित कर सकते हैं, उसी तरह, यदि आप खुद को तैयार कर सकते हैं, तो आप हमेशा गोविंदा को देख सकते हैं। यह मुश्किल नहीं है। यह ब्रह्म-संहिता मे कहा गया है-"प्रेमाँजन छुरित भक्ति विलोचनेना" कहा गया है। बस आपको अपनी आंखें, अपने दिमाग को उस तरह से तैयार करना होगा। आपके दिल के भीतर एक टेलीविजन बॉक्स है। यह योग की पूर्णता है। यह नहीं है कि आपको एक मशीन, या टेलीविज़न सेट खरीदना है। यह वहां है, और ईश्वर भी वहीं है। आप देख सकते हैं, आप सुन सकते हैं, आप बात कर सकते हैं, बशर्ते आपको मशीन मिल गई हो, आपको उसकी मरम्मत करना है, बस। ये मरम्मत की प्रक्रिया कृष्ण भावनामृत है।"|Vanisource:681018 - Lecture - Seattle|681018 - प्रवचन - सिएटल}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/681018 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|681018|HI/681020 बातचीत - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|681020}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681018LE-SEATTLE_ND_02.mp3</mp3player>|जैसे हजारों और हजारों मील दूर आप टेलीविजन चित्र या अपनी रेडियो ध्वनि स्थानांतरित कर सकते हैं, उसी तरह, यदि आप खुद को तैयार कर सकते हैं, तो आप हमेशा गोविंद को देख सकते हैं । यह मुश्किल नहीं है । यह ब्रह्म-संहिता मे कहा गया है - प्रेमाँजन छुरित भक्ति विलोचनेन । बस आपको अपनी आंखें, अपने दिमाग को उस तरह से तैयार करना होगा । आपके दिल के भीतर एक टेलीविजन बॉक्स है । यह योग की पूर्णता है । यह नहीं है कि आपको एक मशीन, या टेलीविज़न सेट खरीदना है । यह वहां है ही, और ईश्वर भी वहीं है । आप देख सकते हैं, आप सुन सकते हैं, आप बात कर सकते हैं, बशर्ते आपको मशीन मिल गई हो, आपको उसकी मरम्मत करना है, बस । ये मरम्मत की प्रक्रिया कृष्ण भावनामृत है ।|Vanisource:681018 - Lecture - Seattle|681018 - प्रवचन - सिएटल}}

Latest revision as of 06:11, 13 January 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
जैसे हजारों और हजारों मील दूर आप टेलीविजन चित्र या अपनी रेडियो ध्वनि स्थानांतरित कर सकते हैं, उसी तरह, यदि आप खुद को तैयार कर सकते हैं, तो आप हमेशा गोविंद को देख सकते हैं । यह मुश्किल नहीं है । यह ब्रह्म-संहिता मे कहा गया है - प्रेमाँजन छुरित भक्ति विलोचनेन । बस आपको अपनी आंखें, अपने दिमाग को उस तरह से तैयार करना होगा । आपके दिल के भीतर एक टेलीविजन बॉक्स है । यह योग की पूर्णता है । यह नहीं है कि आपको एक मशीन, या टेलीविज़न सेट खरीदना है । यह वहां है ही, और ईश्वर भी वहीं है । आप देख सकते हैं, आप सुन सकते हैं, आप बात कर सकते हैं, बशर्ते आपको मशीन मिल गई हो, आपको उसकी मरम्मत करना है, बस । ये मरम्मत की प्रक्रिया कृष्ण भावनामृत है ।
681018 - प्रवचन - सिएटल