HI/730101 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730101ND-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|‘सब कुछ परम तत्त्व से प्रकट हो रहा है । तो प्रेम है । जिस प्रकार राधा कृष्ण का प्रेम, किशोर किशोरी, किशोर कृष्ण, किशोरी राधारानी । ये प्रेम इस संसार में विकृत रूप में दिखाई  पड़ता है जिसको प्रेम का नाम दिया है । वो तो केवल कामवासना है, इस लिए इसको प्रेम की विकृत छवि कहा जाता है । कामवासना इसलिए क्योंकि इक किशोर लड़का ...., इक किशोरी लड़की मिलते है , एक दूसरे से प्यार करते है , और ज़रा सा मतभेद होता है और वो अलग हो जाते है ।’|Vanisource:730101 - Lecture NOD - Bombay|730101 - प्रवचन NOD - बॉम्बे}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/721212 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद अहमदाबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|721212|HI/730113 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|730113}}
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Latest revision as of 06:08, 9 February 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सब कुछ परम तत्त्व से प्रकट हो रहा है । तो प्रेम है । जिस प्रकार राधा कृष्ण का प्रेम, किशोर किशोरी, किशोर कृष्ण, किशोरी राधारानी । ये प्रेम इस संसार में विकृत रूप में दिखाई पड़ता है जिसको प्रेम का नाम दिया है । वो तो केवल कामवासना है, इस लिए इसको प्रेम की विकृत छवि कहा जाता है । कामवासना इसलिए क्योंकि इक किशोर लड़का ..., इक किशोरी लड़की मिलते है, एक दूसरे से प्यार करते है, और ज़रा सा मतभेद होता है और वो अलग हो जाते है।"
730101 - प्रवचन NOD - बॉम्बे