HI/561225 - श्री बिशंभर गोस्वामी को लिखित पत्र, शांति कुटीर, वृंदावन: Difference between revisions
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मुझे उम्मीद है कि इस बीच आप मेरे लेख्य “बैक टू गॉडहेड” के पत्रों सहित मेरे मंसूबे और लेखन की भावना को परख चुके होंगे। मेरी इच्छा है कि आप वृंदावन में इस संघ की व्यवस्था करने के साथ साथ “बैक टू गॉडहेड” लेख्य को “भगवान की कथा” के नाम और शैली के तहत न केवल अंग्रेजी भाषा बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं में भी प्रकाशित करें। | मुझे उम्मीद है कि इस बीच आप मेरे लेख्य “बैक टू गॉडहेड” के पत्रों सहित मेरे मंसूबे और लेखन की भावना को परख चुके होंगे। मेरी इच्छा है कि आप वृंदावन में इस संघ की व्यवस्था करने के साथ साथ “बैक टू गॉडहेड” लेख्य को “भगवान की कथा” के नाम और शैली के तहत न केवल अंग्रेजी भाषा बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं में भी प्रकाशित करें। | ||
“भक्तों | “भक्तों का संघटन” संघ के समाचार और विचारों को संप्रदाय के हित में प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि वैष्णवों को मानव निर्मित कानूनों के हमले से बचाया जाएगा। हमें असत साधुओं की अनधिकृत गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले क़ानूनों से कोई आपत्ति नही है, लेकिन हमें महान आचार्यों द्वारा बताए गए पारलौकिक विचारों की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। | ||
परम पावन श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी हमारे गौड़ीय सम्प्रदाय में वैष्णव स्मृति के प्रवर्तक थे और आप श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी जी के एक सक्षम वंशधर हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस मामले पर गंभीरता से विचार करेंगे और इस संबंध में मेरे स्वैच्छिक सहयोग को स्वीकार करेंगे। | परम पावन श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी हमारे गौड़ीय सम्प्रदाय में वैष्णव स्मृति के प्रवर्तक थे और आप श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी जी के एक सक्षम वंशधर हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस मामले पर गंभीरता से विचार करेंगे और इस संबंध में मेरे स्वैच्छिक सहयोग को स्वीकार करेंगे। | ||
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विशेष टिप्पणी - भक्तों | विशेष टिप्पणी - भक्तों का संघटन की दिल्ली बैठक के संबंध में कुछ कागजात संलग्न हैं, कृपया देखें। एसीब |
Latest revision as of 08:43, 18 March 2021
दिसंबर २५, १९५६
श्री राधा विनोद जी मंदिर
३३, आनंद घाट।
गोस्वामी अभय चरण भक्तिवेदांत
संपादक – “बैक टू गॉडहेड”।
आदरणीय श्री गोस्वामी जी,
कृपया मेरा सम्मान पूर्ण दण्डवत प्रणाम स्वीकार करें। एक महत्वपूर्ण मिशन हेतु मैं आपसे भेंट करने के लिए वृंदाबन आया हूं।
सरकार का ध्यान अब भारतीय साधुओं और संन्यासियों के धार्मिक गतिविधियों को सुधारने की ओर मुड़ गया है और अब वे इस संबंध में कुछ क़ानून बनाने वाले हैं। बेशक श्रीकृष्ण की सर्वोच्च इच्छा के अनुमोदन के बिना कुछ भी संभव नहीं है, लेकिन फिर भी मानव निर्मित कानून में दोष होता ही है क्योंकि सांसदों में प्रानुकूलित आत्मा के चार प्राथमिक सिद्धांतों की कमी है।
सभी आचार्य के हित और सिद्धांतों की रक्षा के लिए सभी भारतीय सम्प्रदायों के वैष्णवों का एक संघ बनाने की संभावता पर- आपसे विमर्श करने हेतु मैं वृंदावन आया हूँ। श्री चैतन्य महाप्रभु ने सभी आचार्यों के धारणाओं को एकीकृत कर अचिंत्य भेदआभेद तत्व का प्रसंग किया था, जिसका स्पष्ट संदर्भ श्री बालदेव विद्याभूषण द्वारा रचित - वेदांत सूत्र के गोविंद भाष्य में पाया जा सकता है।
यकायक वैष्णवों का एक संघ बनाने की मेरी तीव्र इच्छा है और इस उद्देश्य के पूर्ति के लिए मैंने एक संघ पंजीकृत किया है जिसकी नाम और शैली है -
भक्तों का संघटन
(हिंदी लिपि - सार्वभौम भागवत समाज)
मुझे उम्मीद है कि इस बीच आप मेरे लेख्य “बैक टू गॉडहेड” के पत्रों सहित मेरे मंसूबे और लेखन की भावना को परख चुके होंगे। मेरी इच्छा है कि आप वृंदावन में इस संघ की व्यवस्था करने के साथ साथ “बैक टू गॉडहेड” लेख्य को “भगवान की कथा” के नाम और शैली के तहत न केवल अंग्रेजी भाषा बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं में भी प्रकाशित करें।
“भक्तों का संघटन” संघ के समाचार और विचारों को संप्रदाय के हित में प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि वैष्णवों को मानव निर्मित कानूनों के हमले से बचाया जाएगा। हमें असत साधुओं की अनधिकृत गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले क़ानूनों से कोई आपत्ति नही है, लेकिन हमें महान आचार्यों द्वारा बताए गए पारलौकिक विचारों की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।
परम पावन श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी हमारे गौड़ीय सम्प्रदाय में वैष्णव स्मृति के प्रवर्तक थे और आप श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी जी के एक सक्षम वंशधर हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस मामले पर गंभीरता से विचार करेंगे और इस संबंध में मेरे स्वैच्छिक सहयोग को स्वीकार करेंगे।
सादर,
ए.सी. भक्तिवेदांत
संलग्नक - ३
विशेष टिप्पणी - भक्तों का संघटन की दिल्ली बैठक के संबंध में कुछ कागजात संलग्न हैं, कृपया देखें। एसीब
- HI/1947 से 1964 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - भारत से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - भारत, वृंदावन से
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - भारत
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - भारत, वृंदावन
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - मीडिया को पत्र
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