HI/610401 - श्री तोशिहिरो नाकानो को लिखित पत्र, दिल्ली: Difference between revisions

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श्री तोशिहिरो नाकानो <br/>
श्री तोशिहिरो नाकानो <br/>
प्रधान सचिव <br/>
प्रधान सचिव <br/>
सांस्कृतिक सद्भाव के लिए इंटरनेशनल फाउंडेशन। <br/>
सांस्कृतिक सद्भाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय फाउंडेशन। <br/>
पी.ओ. बॉक्स क्रमांक ४३, नुमाज़ी सिटी <br/>
पी.ओ. बॉक्स क्रमांक ४३, नुमाज़ी शहर <br/>
जापान <br/>
जापान <br/>
   
   
प्रिय श्री तोशिहिरो नाकानो ,
प्रिय श्री तोशिहिरो नाकानो, <br/>


मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि जब मैं दौरे पर था, तब मेरे कार्यालय से आपका एक पत्र मुझ तक पहुँचाया गया था। दुर्भाग्य से वह लापता है, मैं आपका आभारी रहूँगा यदि आप कृपया कर के मुझे <u>रिटर्न पोस्ट द्वारा उसी की एक प्रति भेज देतें हैं</u>। परंतु आपके पत्र के संदर्भ को नोट कर लिया गया था और मैंने आपके पते पर अन्य ग्रहों की सुगम यात्रा की एक प्रति के साथ साथ आध्यात्मिक संस्कृति का एक २१ पत्र लम्बा अत्यंत चित्रमय वर्णन भेजा है, लेकिन अलग पोस्ट द्वारा (पंजीकृत.)। कृपया रसीद की प्राप्ति की पावती दे दीजिए गा। मैंने आपको लगभग- २० चित्रात्मक विचार व संलग्न वर्णन को भेजा है। मेरे पास और भी ऐसे ३० पद्धतियाँ हैं, लेकिन यह देखते हुए कि आपको इन सभी पचासों को इतने कम समय में मुद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, मैंने आपको केवल २० चित्रात्मक विचार ही भेजे हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि मैं आपको शेष ३० चित्रात्मक स्पष्टीकरण भी भेज सकता हूं, तो आप कृपया मुझे एक बार में बता दें और में ज़रूरतमंद चीजें कर दूँगा ।
मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि जब मैं दौरे पर था, तब मेरे कार्यालय से आपका एक पत्र मुझ तक पहुँचाया गया था परन्तु दुर्भाग्य से वह पत्र लापता हो गया है। मैं आपका अत्यंत  आभारी रहूँगा यदि आप कृपया कर मुझे <u> रिटर्न पोस्ट द्वारा उस की एक प्रति भेज दें।</u>। परंतु आपके पत्र के संदर्भ को नोट कर लिया गया था और मैंने आपके पते पर "अन्य ग्रहों की सुगम यात्रा" पुस्तक की एक प्रति के साथ साथ आध्यात्मिक संस्कृति का एक २१ पन्ने लम्बा अत्यंत चित्रमय वर्णन भेजा है, लेकिन अलग पोस्ट द्वारा (पंजीकृत.)। कृपया रसीद की प्राप्ति की पावती दे दीजिएगा। मैंने आपको लगभग २० चित्रात्मक विचार व संलग्न वर्णन भेजे हैं। मेरे पास ऐसे और भी ३० चित्रात्मक विचार हैं, लेकिन यह देखते हुए कि आपको इन सभी पचासों को इतने कम समय में मुद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, मैंने अभी आपको केवल २० ही भेजे हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि मैं आपको शेष ३० भी भेज सकता हूं, तो आप कृपया मुझे एक बार बता दें। मै ज़रूरत के हिसाब से सब कुछ व्यवस्थित कर दूँगा। <br/>
   
   
वर्तमान में मैं वृंदाबन से दिल्ली आया हूं और उपरोक्त शिविर के पते पर रह रहा हूं।  इसलिए अभी के लिए आप उपरोक्त पते पर अपनी चिट्ठियाँ भेज सकतें हैं।
वर्तमान में मैं वृंदावन से दिल्ली आया हुआ हूॅ और उपरोक्त शिविर के पते पर रह रहा हूं।  इसलिए फिलहाल आप उपरोक्त पते पर अपनी चिट्ठियाँ भेज सकतें हैं। <br/>
   
   
मेरी यह छोटी पुस्तिका <u>अन्य ग्रहों की सुगम यात्रा</u> मानवता के मार्ग के पुनः जागरण हेतु एक उपन्यास कदम है। रूस के वैज्ञानिक स्पुटनिकों द्वारा अन्य ग्रहों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, परंतु इस तरह के प्रयास लगभग कथा तथित हैं। दृश्यमान आकाश के भीतर असंख्य ग्रह हैं, और हर एक ग्रह का अपना एक वातावरण है। इस ग्रह के मानव अन्य ग्रहों के वातावरण के साथ मेल नहीं बैठा पायनेगे, भले ही वह स्पुटनिक द्वारा वहां तक ​​पहुंचने में सक्षम हो जाएँ। वहाँ तक पहुँचने का आसान तरीका मेरी इस पुस्तक में सुझाया गया है- जिसे भक्ति-योग कहते हैं, जो दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। भक्ति-योग से - व्यक्ति आध्यात्मिक आकाश तक भी पहुँच सकता है जो इस भौतिक आकाश से बहुत बहुत दूर है। लेकिन इस मानव आध्यात्मिक संस्कृति का प्रचार , आपकी संस्था इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर कल्चरल हार्मनी, द्वारा किया जा सकता है, जिससे  दुनिया के सभी लोगों को भक्ति-योग की आसान विधि से बोध कराया जा सकता है, जो की अभ्यासकर्ता को आध्यात्मिक आकाश या फिर किसी भी अन्य ग्रह तक पहुँचा सकती है। यह सभी मानवता के संचरन के परिणाम हैं।  और अगर आप इस मामले को गंभीरता से लेते हैं, तो मैं भी दुनिया के हर कोने से जापान आने वाले -  उन सभी महत्वपूर्ण सज्जनों के सहयोग से आपकी मदद कर सकता हूं। इसलिए कृपया अपने उच्च फाउंडेशन द्वारा निष्पादन के लिए इस कार्यक्रम के बारे में सोचें।
मेरी यह छोटी पुस्तिका <u> "अन्य ग्रहों की सुगम यात्रा" </u> मानवता के मार्ग के पुनर्जागरण हेतु एक ईमानदार प्रयास है। रूस के वैज्ञानिक स्पुटनिकों द्वारा अन्य ग्रहों तक पहुंचने की कोशिश कर रहें हैं, परंतु इस तरह के प्रयास लगभग काल्पनिक हैं। दृश्यमान आकाश के भीतर असंख्य ग्रह हैं, और हर एक ग्रह का अपना एक वातावरण है। इस ग्रह के मानव अन्य ग्रहों के वातावरण के साथ मेल नहीं बैठा पायेंगे, भले ही वह स्पुटनिक द्वारा वहां तक ​​पहुंचने में सक्षम हो भी जाएँ। वहाँ तक पहुँचने का आसान तरीका मेरी इस पुस्तक में सुझाया गया है जिसे भक्ति-योग कहते हैं, जो दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। भक्ति-योग से व्यक्ति आध्यात्मिक आकाश तक भी पहुँच सकता है जो इस भौतिक आकाश से अत्यंत दूर है। लेकिन इस मानवीय आध्यात्मिक संस्कृति का प्रचार, आपकी संस्था "इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर कल्चरल हार्मनी" द्वारा किया जा सकता है। इससे दुनिया के सभी लोगों को भक्ति-योग की आसान विधि का बोध कराया जा सकता है, जो की अभ्यासकर्ता को आध्यात्मिक आकाश या फिर किसी भी अन्य ग्रह तक पहुँचा सकती है। यह सभी मानवता के संचरन के परिणाम हैं और अगर आप इस मामले को गंभीरता से लेते हैं, तो मैं भी दुनिया के हर कोने से जापान आने वाले ऐसे सभी महत्वपूर्ण सज्जनों के सहयोग से आपकी मदद कर सकता हूं। इसलिए कृपया अपने उच्च फाउंडेशन द्वारा इस कार्यक्रम के तीव्र निष्पादन के बारे में सोचें। <br/>
उन चित्रात्मक वर्णनों के साथ साथ, मेरे भाषांड की पत्रिका भी भेजी जा चुकी है, और आप उन दोनों को एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं, जिनमें अति होनहार जापानी कलाकारों द्वारा चित्रों को और भी रंगीन प्ररूप में पेश किया जा सकता है। जापान।  कलात्मक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है और भारत आध्यात्मिक संस्कृति के लिए ।  सकल भौतिकवाद की गन्दी चीजों से दुखी मानव के उत्थान के लिए हमें अब एक साथ जुड़ना होगा ।
 
उन चित्रात्मक वर्णनों के साथ साथ, मेरे भाषण की एक अग्रिम प्रति भी आपके पास भेजी जा चुकी है। अब आप इन दोनों को एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं, जिनमें अति होनहार जापानी कलाकारों द्वारा चित्रों को और भी रंगीन प्रारूप में पेश किया जा सकता है। जापान कलात्मक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है और भारत आध्यात्मिक संस्कृति के लिए। सकल भौतिकवाद की गन्दी चीजों से दुखी मानव के उत्थान के लिए हमें अब एक साथ जुड़ना होगा। <br/>
   
   
पुस्तक को आपके उत्कृष्ट नींव के तत्वावधान में प्रकाशित किया जा सकता है और यदि आपकी आज्ञा हो तो  तो हम मानवता के लिए कई अन्य पुस्तकों को भी प्रकाशित कर सकते हैं।
पुस्तक को आपके उत्कृष्ट फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रकाशित किया जा सकता है और यदि आपकी आज्ञा हो तो हम मानवता के लिए कई अन्य पुस्तकों को भी प्रकाशित कर सकते हैं। <br/>
   
   
जब मैं जापान आऊँगा , तब अपने कार्यों के महत्वपूर्ण एम।एस।एस को अपने साथ ले जाऊंगा और यदि संभव हो तो हम उन्हें सब के लाभ के हित लिए प्रकाशित कर सकते हैं ।
जब मैं जापान आऊँगा, तब अपने कार्यों की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों को अपने साथ ले आऊॅगा और यदि संभव हो तो हम उन्हें सभी के हित मे प्रकाशित कर सकते हैं। <br/>
   
   
कांग्रेस के आपके आयोजित सत्र के बाद , मैं जापान, चीन और यू.एस.ए में एक विस्तृत यात्रा करूँगा ताकि मानवता के इस संस्कृति का प्रचार किया जाए और यदि आप इस प्रस्ताव को उचित महत्व के साथ मानते हैं तो मुझे खुशी होगी।
कांग्रेस के आपके आयोजित सत्र के बाद, मैं जापान, चीन और यू.एस.ए में एक विस्तृत यात्रा करूँगा ताकि मानवता की इस संस्कृति का प्रचार किया जाए और यदि आप इस प्रस्ताव को उचित महत्व देते हैं तो मुझे खुशी होगी। <br/>
   
   
दुनिया के सभी महान संत जैसे भगवान कृष्ण, भगवान बुद्ध, ईसा मसीह, हजरत मोहम्मद, आचार्य शंकर, आचार्य रामानुज, भगवान श्री चैतन्य, सभी ने इस मानवता के संस्कृति पर प्रकाश डाला था ।  और हम जैसे लोगों को मानव समाज के सर्वांगीण कल्याण के लिए उनके पद चिन्हों पर चलना चाहिए। आपके फ़ाउंडेशन ने नियत समय में सही कारण उठाया है और आपको मेरा पूर्ण सहयोग प्राप्त है। आशा है कि आप अच्छे हैं।
दुनिया के सभी महान संत जैसे भगवान कृष्ण, भगवान बुद्ध, ईसा मसीह, हजरत मोहम्मद, आचार्य शंकर, आचार्य रामानुज, भगवान श्री चैतन्य, सभी ने इस मानवता की संस्कृति पर प्रकाश डाला था। और हम जैसे लोगों को मानव समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए कल्याणकारी पद्वति के लिए उनके पद चिन्हों पर चलना चाहिए। आपके फ़ाउंडेशन ने नियत समय में सही कदम उठाया है और आपको मेरा पूर्ण सहयोग प्राप्त है।  
 
आशा है कि आप अच्छे हैं। <br/>
   
   
एक प्रारंभिक उत्तर की आशा में आपको धन्यवाद।
एक प्रारंभिक उत्तर की आशा में आपको धन्यवाद। <br/>
   
   
सादर,
सादर, <br/>
   
   
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी <br/>

Latest revision as of 14:27, 27 March 2021

श्री तोशिहिरो नकानो को पत्र (पृष्ठ १ से २) (पृष्ठ २ अनुपस्थित)


०१ अप्रैल, १९६१

श्री तोशिहिरो नाकानो
प्रधान सचिव
सांस्कृतिक सद्भाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय फाउंडेशन।
पी.ओ. बॉक्स क्रमांक ४३, नुमाज़ी शहर
जापान

प्रिय श्री तोशिहिरो नाकानो,

मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि जब मैं दौरे पर था, तब मेरे कार्यालय से आपका एक पत्र मुझ तक पहुँचाया गया था परन्तु दुर्भाग्य से वह पत्र लापता हो गया है। मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा यदि आप कृपया कर मुझे रिटर्न पोस्ट द्वारा उस की एक प्रति भेज दें।। परंतु आपके पत्र के संदर्भ को नोट कर लिया गया था और मैंने आपके पते पर "अन्य ग्रहों की सुगम यात्रा" पुस्तक की एक प्रति के साथ साथ आध्यात्मिक संस्कृति का एक २१ पन्ने लम्बा अत्यंत चित्रमय वर्णन भेजा है, लेकिन अलग पोस्ट द्वारा (पंजीकृत.)। कृपया रसीद की प्राप्ति की पावती दे दीजिएगा। मैंने आपको लगभग २० चित्रात्मक विचार व संलग्न वर्णन भेजे हैं। मेरे पास ऐसे और भी ३० चित्रात्मक विचार हैं, लेकिन यह देखते हुए कि आपको इन सभी पचासों को इतने कम समय में मुद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, मैंने अभी आपको केवल २० ही भेजे हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि मैं आपको शेष ३० भी भेज सकता हूं, तो आप कृपया मुझे एक बार बता दें। मै ज़रूरत के हिसाब से सब कुछ व्यवस्थित कर दूँगा।

वर्तमान में मैं वृंदावन से दिल्ली आया हुआ हूॅ और उपरोक्त शिविर के पते पर रह रहा हूं। इसलिए फिलहाल आप उपरोक्त पते पर अपनी चिट्ठियाँ भेज सकतें हैं।

मेरी यह छोटी पुस्तिका "अन्य ग्रहों की सुगम यात्रा" मानवता के मार्ग के पुनर्जागरण हेतु एक ईमानदार प्रयास है। रूस के वैज्ञानिक स्पुटनिकों द्वारा अन्य ग्रहों तक पहुंचने की कोशिश कर रहें हैं, परंतु इस तरह के प्रयास लगभग काल्पनिक हैं। दृश्यमान आकाश के भीतर असंख्य ग्रह हैं, और हर एक ग्रह का अपना एक वातावरण है। इस ग्रह के मानव अन्य ग्रहों के वातावरण के साथ मेल नहीं बैठा पायेंगे, भले ही वह स्पुटनिक द्वारा वहां तक ​​पहुंचने में सक्षम हो भी जाएँ। वहाँ तक पहुँचने का आसान तरीका मेरी इस पुस्तक में सुझाया गया है जिसे भक्ति-योग कहते हैं, जो दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। भक्ति-योग से व्यक्ति आध्यात्मिक आकाश तक भी पहुँच सकता है जो इस भौतिक आकाश से अत्यंत दूर है। लेकिन इस मानवीय आध्यात्मिक संस्कृति का प्रचार, आपकी संस्था "इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर कल्चरल हार्मनी" द्वारा किया जा सकता है। इससे दुनिया के सभी लोगों को भक्ति-योग की आसान विधि का बोध कराया जा सकता है, जो की अभ्यासकर्ता को आध्यात्मिक आकाश या फिर किसी भी अन्य ग्रह तक पहुँचा सकती है। यह सभी मानवता के संचरन के परिणाम हैं और अगर आप इस मामले को गंभीरता से लेते हैं, तो मैं भी दुनिया के हर कोने से जापान आने वाले ऐसे सभी महत्वपूर्ण सज्जनों के सहयोग से आपकी मदद कर सकता हूं। इसलिए कृपया अपने उच्च फाउंडेशन द्वारा इस कार्यक्रम के तीव्र निष्पादन के बारे में सोचें।

उन चित्रात्मक वर्णनों के साथ साथ, मेरे भाषण की एक अग्रिम प्रति भी आपके पास भेजी जा चुकी है। अब आप इन दोनों को एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं, जिनमें अति होनहार जापानी कलाकारों द्वारा चित्रों को और भी रंगीन प्रारूप में पेश किया जा सकता है। जापान कलात्मक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है और भारत आध्यात्मिक संस्कृति के लिए। सकल भौतिकवाद की गन्दी चीजों से दुखी मानव के उत्थान के लिए हमें अब एक साथ जुड़ना होगा।

पुस्तक को आपके उत्कृष्ट फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रकाशित किया जा सकता है और यदि आपकी आज्ञा हो तो हम मानवता के लिए कई अन्य पुस्तकों को भी प्रकाशित कर सकते हैं।

जब मैं जापान आऊँगा, तब अपने कार्यों की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों को अपने साथ ले आऊॅगा और यदि संभव हो तो हम उन्हें सभी के हित मे प्रकाशित कर सकते हैं।

कांग्रेस के आपके आयोजित सत्र के बाद, मैं जापान, चीन और यू.एस.ए में एक विस्तृत यात्रा करूँगा ताकि मानवता की इस संस्कृति का प्रचार किया जाए और यदि आप इस प्रस्ताव को उचित महत्व देते हैं तो मुझे खुशी होगी।

दुनिया के सभी महान संत जैसे भगवान कृष्ण, भगवान बुद्ध, ईसा मसीह, हजरत मोहम्मद, आचार्य शंकर, आचार्य रामानुज, भगवान श्री चैतन्य, सभी ने इस मानवता की संस्कृति पर प्रकाश डाला था। और हम जैसे लोगों को मानव समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए कल्याणकारी पद्वति के लिए उनके पद चिन्हों पर चलना चाहिए। आपके फ़ाउंडेशन ने नियत समय में सही कदम उठाया है और आपको मेरा पूर्ण सहयोग प्राप्त है।

आशा है कि आप अच्छे हैं।

एक प्रारंभिक उत्तर की आशा में आपको धन्यवाद।

सादर,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी