HI/670607 - लड़कों और हिमावती को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क: Difference between revisions

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{{LetterScan|670607_-_Letter_to_Boys_and_Himavati.jpg| लड़कों और हिमावती को पत्र}}




'''अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ'''<br/>
'''अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ'''<br/>
२६ पंथ, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३ <br/>
२६ दूसरा एवेन्यू, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३ <br/>
टेलीफोन: ६७४-७४२८ <br/>
टेलीफोन: ६७४-७४२८ <br/>


'''आचार्य :स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत <br/>'''
'''आचार्य:स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत <br/>'''
'''समिति:'''<br/>
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लैरी बोगार्ट <br/>
लैरी बोगार्ट <br/>
जेम्स एस. ग्रीन <br/>
जेम्स एस. ग्रीन <br/>
कार्ल एयरगन्स <br/>
कार्ल इयरगन्स <br/>
राफेल बालसम <br/>
राफेल बालसम <br/>
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़ <br/>
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़ <br/>
रेमंड मराइस <br/>
रेमंड मराइस <br/>
स्टैनले मॉस्कोविट्ज़ <br/>
माइकल ग्रांट <br/>
माइकल ग्रांट <br/>
हार्वे कोहेन <br/>
हार्वे कोहेन <br/>
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इस्कॉन <br/>  
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३७२० पार्क पंथ  <br/>  
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मॉन्ट्रियल १८, क्यूबेक
मॉन्ट्रियल १८, क्यूबेक


मेरे प्रिय लड़कों और हिमावती, <br/>
मेरे प्रिय लड़कों और हिमावती, <br/>
मुझे आपके संवेदनापूर्ण विधिवत पत्र मिले हैं और यह मुझे इतना भाता था कि आप सभी कृष्ण चेतना में सच्ची आत्माएं हैं। मैं प्रगति बहुत अच्छी तरह से कर रहा हूं और कल मैं अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी, न्यू जर्सी जाने के लिए प्राकृतिक समुद्र के सामने एक पखवाड़े के लिए आराम लें। कृष्ण चेतना का मूल सिद्धांत यह है कि हम अपने गुरु के रूप में एक और सभी को प्राप्त करें, और उन्हें ''[हस्तलिखित]'' भौतिक बीमारी स्थिति से मुक्त होने के लिए औषधि के रूप में आहार और कृष्ण कीर्तन के रूप में और आहार के लिए प्रसादम के साथ सेवा करें ''[हस्तलिखित]''। इसलिए हम इस सिद्धांत का पालन करेंगे और कृष्ण हमारे आगे मार्च में हमारी मदद करेंगे।<br/>
मुझे आपके पत्र विधिवत मिले गए हैं और यह मुझे इतना भाता है कि आप सभी कृष्ण चेतना में सच्ची आत्माएं हैं। मैं तेज़ी से स्वस्थ हो रहा हूं और कल मुझे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी, मैं न्यू जर्सी जाकर प्राकृतिक समुद्र के सामने, एक पखवाड़े के लिए, आराम करूँगा। कृष्ण चेतना का मूल सिद्धांत यह है कि हमें सभी को प्रभु के रूप में स्वीकार करके उन्हें ''[हस्तलिखित]'' भौतिक बीमारी स्थिति से मुक्त होने के लिए आहार के रूप में प्रसादम और औषधि के रूप में कृष्ण कीर्तन के साथ सेवा करनी चाहिए ''[हस्तलिखित]''। इसलिए हम इस सिद्धांत का पालन करेंगे और कृष्ण हमें आगे बढ़ने के लिए हमारी मदद करेंगे।<br/>
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आपका नित्य शुभचिंतक, <br />  
आपका नित्य शुभचिंतक, <br />  

Latest revision as of 08:06, 4 May 2021

लड़कों और हिमावती को पत्र


अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ दूसरा एवेन्यू, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८

आचार्य:स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत
समिति:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस. ग्रीन
कार्ल इयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़
रेमंड मराइस
स्टैनले मॉस्कोविट्ज़
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन

जून ७, १९६७



इस्कॉन
३७२० पार्क एवेन्यू
मॉन्ट्रियल १८, क्यूबेक

मेरे प्रिय लड़कों और हिमावती,
मुझे आपके पत्र विधिवत मिले गए हैं और यह मुझे इतना भाता है कि आप सभी कृष्ण चेतना में सच्ची आत्माएं हैं। मैं तेज़ी से स्वस्थ हो रहा हूं और कल मुझे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी, मैं न्यू जर्सी जाकर प्राकृतिक समुद्र के सामने, एक पखवाड़े के लिए, आराम करूँगा। कृष्ण चेतना का मूल सिद्धांत यह है कि हमें सभी को प्रभु के रूप में स्वीकार करके उन्हें [हस्तलिखित] भौतिक बीमारी स्थिति से मुक्त होने के लिए आहार के रूप में प्रसादम और औषधि के रूप में कृष्ण कीर्तन के साथ सेवा करनी चाहिए [हस्तलिखित]। इसलिए हम इस सिद्धांत का पालन करेंगे और कृष्ण हमें आगे बढ़ने के लिए हमारी मदद करेंगे।

आपका नित्य शुभचिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी