HI/670422 - सुबल और कृष्ण देवी को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क: Difference between revisions
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'''अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ'''<br /> | '''अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ'''<br /> | ||
२६ पंथ, | २६ पंथ, न्यू यॉर्क, एन.वाई. १०००३ <br /> | ||
टेलीफोन: ६७४-७४२८ <br /> | टेलीफोन: ६७४-७४२८ <br /> | ||
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मेरे प्रिय सुबल और कृष्ण देवी, <br /> | मेरे प्रिय सुबल और कृष्ण देवी, <br /> | ||
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके पत्र की यथोचित प्राप्ति में हूँ और ___ इसलिए बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है। मैं प्रतिदिन आपके व्यंजन का आनंद ले रहा हूं और | कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके पत्र की यथोचित प्राप्ति में हूँ और ___ इसलिए बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है। मैं प्रतिदिन आपके व्यंजन का आनंद ले रहा हूं और यह ___ है। मुझे खुशी है कि आप नियमित रूप से ___ अनुसरण कर रहे हैं, और यह आपको इस जीवन में और अगले जीवन दोनों में खुश करेगा। कीर्तन को अपना जीवन और ध्येय बनाइए, और भगवान आपको सब कुछ देगा। <br /> | ||
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आपका नित्य शुभचिंतक, <br /> | आपका नित्य शुभचिंतक, <br /> | ||
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी <br /> | ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी <br /> |
Latest revision as of 05:18, 3 June 2021
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ पंथ, न्यू यॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८
२२ अप्रैल,१९६७
मेरे प्रिय सुबल और कृष्ण देवी,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके पत्र की यथोचित प्राप्ति में हूँ और ___ इसलिए बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है। मैं प्रतिदिन आपके व्यंजन का आनंद ले रहा हूं और यह ___ है। मुझे खुशी है कि आप नियमित रूप से ___ अनुसरण कर रहे हैं, और यह आपको इस जीवन में और अगले जीवन दोनों में खुश करेगा। कीर्तन को अपना जीवन और ध्येय बनाइए, और भगवान आपको सब कुछ देगा।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
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