HI/700702b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:54, 20 September 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यदि आप कृष्ण भावनामृत से जुड़े रहते हैं, तो कोई गोपनीयता नहीं है, कोई कपट नहीं है, कोई कूटनीति नहीं है। एक विचार, कृष्ण: हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम... वह आपको तृप्त कर देगा। ययातमा सुप्रसीदति। यदि आप वास्तव में प्रसन्नता चाहते हैं, तो आप इस कृष्ण भावनामृत विषयों से जुड़े रहें। कुछ और बीच में न लाएँ। तब वह गृहेषु ग्रह-मेधिनाम, अपश्यतां आत्म-तत्त्वं (श्री.भा. ०२.०१.०२) बन जाएगा। तो मैं विशेष रूप से मेरे संन्यासी शिष्यों से बात कर रहा हूं, जो आज एक महान विशेष कार्य पर निकल रहे हैं। कृपया इस सिद्धांत से जुड़े रहें—कृष्ण। आप लाभान्वित होंगे, और जिन व्यक्तियों से आप बात करेंगे, वे लाभान्वित होंगे, दुनिया लाभान्वित होगी। इसलिए आपको बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी मिली है। ग्रहमेधी की बातों में न आएं। यही मेरा अनुरोध है।" |
700702 - प्रवचन श्री.भा. ०२ ०१ ०१-४ - आंशिक अभिलेख - लॉस एंजेलेस |