HI/720929 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 01:49, 19 November 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"इस भौतिक सृष्टि की कोई आवश्यकता नहीं थी। परंतु धूर्तों ने प्रश्न किया कि 'भगवान ने यह दुखदायी संसार क्यों बनाया है?' किन्तु हम ऐसा चाहते थे; इसलिए भगवान ने यह हमें दिया है। भगवान भगवद्गीता में कहते हैं - ये यथा माम् प्रपद्यन्ते तांस तथैव भजामि अहम् (भगवद्गीता ४.११)। कृष्ण अत्यधिक दयालु हैं। परंतु हम ऐसी परिस्थिति चाहते थे। यह बात हम बंदी गृह के उदाहरण से समझ सकते हैं। सरकार बंदी गृह का प्रचार नहीं कर रही है,'कृपया आप सभी यहाँ आइये।' नहीं, अपनी गतिविधियों के कारण हम स्वयं वँहा जा रहे हैं। इसी प्रकार, यह भौतिक जगत हमारे लिए बनाया गया है क्योंकि हम ऐसा चाहते थे। और यहाँ बंदी गृह में हम सुखपूर्वक रहने की अपेक्षा नहीं कर सकते... क्योंकि अंततोगत्वा, यह बंदी गृह है। यहाँ दुःख अवश्य होना चाहिए ताकि हम यहाँ पुनः ना आएँ।" Vanisource:720929 - Lecture SB 01.03.24 - Los Angeles |
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