HI/660427 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत बूँदें|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/660427BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"ज्ञान के बिना निर्लिप्तता नहीं आ सकती। लेकिन यह ज्ञान क्या है? मैं भौतिक तत्व नहीं हूँ, मैं आत्मा हूँ। अत: .... यह ज्ञान कहना बहुत सरल है, "मैं शरीर नहीं हूँ, लेकिन मैं आत्मा हूँ," परन्तु वास्तव में इसका सिद्ध ज्ञान प्राप्त करना, बहुत बड़ा कार्य है। यह सरल नहीं है। इस परम ज्ञान को प्राप्त करने के लिए बहुत से, अर्थात बहुत से सिद्ध लोगों ने अनाशसक्त होने के लिए, जन्म-जनमान्तरों तक प्रयास किया। लेकिन भक्तियोग में लगे रहना सबसे सरल विधि है। यह विधि श्रीमद् भागवतम् में वर्णित है। वासुदेव भगवति (श्री.भा. १.२.७) वासुदेव भगवति, परमपिता परमात्मा, श्री कृष्ण। " कृष्ण ही वासुदेव हैं।                           |Vanisource:660427 - Lecture BG 02.58-59 - New York|660427 - Lecture BG 02.58-59 - New York}}
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Revision as of 03:30, 23 February 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
ज्ञान के बिना वैराग्य नहीं आ सकता। और,वह ज्ञान क्या है? वह ज्ञान है की मैं भौतिक तत्व नहीं हूँ, मैं आत्मा हूँ। अत:... यह ज्ञान... यह कहना बहुत सरल है की "मैं यह शरीर नहीं हूँ, और मैं आत्मा हूँ," परन्तु वास्तव में इसका सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना, बहुत ही बड़ा कार्य है। यह सरल नहीं है। इस परम ज्ञान को प्राप्त करने के लिए बहुत, अर्थात बहुत से आध्यात्मवादी, अनासक्त होने के लिए जन्म-जनमान्तरों तक प्रयास कर रहे हैं। किन्तु भक्तियोग में जुड़ जाना सबसे सरल विधि है। यह विधि श्रीमद भागवतम में वर्णित है। वासुदेव भगवति (श्री.भा. १.२.७) वासुदेव भगवति, परम पुरुषोत्तम भगवान, कृष्ण। कृष्ण ही वासुदेव हैं।
660427 - प्रवचन भ.गी. २.५८-५९ - न्यूयार्क