HI/661214 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661214CC-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|संकर्षण से, तीन विस्तारण होते है। उन्हें विष्णु कहते है - महाविष्णु, गर्भोदकशायी विष्णु और क्षीरोदकशायी विष्णु - संकर्षण से । महाविष्णु... जब भौतिक जगत की संरचना हुई, वहीं पर महाविष्णु का विस्तरण हुआ। महा विष्णु से ही यह सभी ब्रह्मांड उत्पन्न हुए। और महा विष्णु से गर्भोदकशायी विष्णु विस्तरित हुए। गर्भोदकशायी विष्णु प्रत्येक ब्रह्मांड में प्रवेश करते हैं और फिर गर्भोदकशायी विष्णु से क्षीरोदकशायी विस्तरित हुए। इसी ब्रह्मांड में ध्रुव तारे के समीप क्षीरोदकशायी का नक्षत्र है। और उसी क्षीरोदकशायी विष्णु से परमात्मा का विस्तार हुआ जो सभी के हृदय में निवास करते हैं। |Vanisource:661214 - Lecture CC Madhya 20.172 - New York|661214 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.१७२ - न्यूयार्क}} |
Latest revision as of 04:43, 31 March 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
संकर्षण से, तीन विस्तारण होते है। उन्हें विष्णु कहते है - महाविष्णु, गर्भोदकशायी विष्णु और क्षीरोदकशायी विष्णु - संकर्षण से । महाविष्णु... जब भौतिक जगत की संरचना हुई, वहीं पर महाविष्णु का विस्तरण हुआ। महा विष्णु से ही यह सभी ब्रह्मांड उत्पन्न हुए। और महा विष्णु से गर्भोदकशायी विष्णु विस्तरित हुए। गर्भोदकशायी विष्णु प्रत्येक ब्रह्मांड में प्रवेश करते हैं और फिर गर्भोदकशायी विष्णु से क्षीरोदकशायी विस्तरित हुए। इसी ब्रह्मांड में ध्रुव तारे के समीप क्षीरोदकशायी का नक्षत्र है। और उसी क्षीरोदकशायी विष्णु से परमात्मा का विस्तार हुआ जो सभी के हृदय में निवास करते हैं। |
661214 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.१७२ - न्यूयार्क |