HI/680218 - मुकुंद को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions

(Created page with "Category:HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के पत्र Category:HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,व...")
 
 
(No difference)

Latest revision as of 07:14, 23 April 2022

Letter to Mukunda


त्रिदंडी गोस्वामी

ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
आचार्य:अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ


शिविर:इस्कॉन राधा कृष्ण मंदिर
5364 डब्ल्यू. पिको बुलेवार
लॉस एंजेल्स कैल 90019

18 फरवरी, 1968


मेरे प्रिय मुकुन्द,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मैं तुम्हारे 15 फरवरी, 1968 के पत्र के लिए तुम्हारा धन्यवाद करता हूँ और उसे पढ़ चुका हूँ। मैं जयानन्द को निर्देश दे चुका हूँ कि, यदि इसमें बहुत जोखिम है, तो बर्क्ले का स्टोरफ्रंट नहीं लिया जाए। हमें कुछ भी बहुत जोखिम भरा स्वीकार नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हमारे कृष्ण भावनामृत के कार्यक्रम में बाधा होगी। हमारा नारा है सादा जीवन, उच्च विचार। हमें, जहां तक हो सके, भौतिक व्यवधानों से बाधित हुए बिना, कृष्ण का स्मरण करते रहना है। तो ज्य़ादा जोखिम वाली वस्तु हमारे लिए नहीं है। यदि हमारे काम में लाने के लिए कुछ बहुत आसानी से आता हो, तो हम उसका स्वागत करते हैं। सैन फ्रांसिस्को में पहले ही तुम्हारे पास एक केन्द्र है तो बेहतर यही है कि प्रसार किया जाए ताकि लोग वहां झुंडों आएं। गर्गमुनि, बैक टू गॉडहड पत्रिकाओं की बिक्री करके ऐसा प्रसार कर सकता है। मेरी व्यक्तिगत तौर पर तुम्हें सलाह है कि तुम अपने स्वयं के मन्दिर के लिए प्रयास करो, सैन फ्रांसिस्को अथवा लॉस ऐनंजिलेस में। तुम चाहते थे कि मैं कुछ उन व्यक्तियों के साथ बात करूँ जो बहुत धनवान हैं और मैं चलने को तैयार हूँ। इसी बीच, जैसे तुम और गर्गमुनि भी, व्यापार करना चाहते थे, तो अब तुम मेरे छोटे बेटे वृन्दाबन डे से किसी भी मात्रा में भारतीय सामान मंगा सकते हो। और वह तुम्हारे सभी ऑर्डर 10% कमीशन पर पूरा करने को तैयार है। मैं सोचता हूँ कि तुम्हें उसको इस कमीशन की अनुमति दे देनी चाहिए, क्योंकि जबतक उसे अपने परिश्रम के लिए कोई फ़ायदा नहीं मिलेगा, यह अधिक उत्साहवर्धक नहीं बन पाएगा। तो यदि तुम उसे 10% देने को तैयार हो, तो वह तुम्हारा सारा माल पंहुचा देगा और दस्तावेजों के मिलने पर तुम उसे भुगतान कर सकते हो। अगर तुम यह पक्का करो तो मैं उसे दुबारा लिखुंगा और फिर तुम और गर्गमुनि बिना किसी के कठिनाई अपने ऑर्डर उसे भेज सकते हो।

डिक्टाफोन का मामला अभी भी बीच में लटका हुआ है। जहां तक संभावना है, तो रायराम मार्च के मध्य में भारत जाएगा और मैं चाहुंगा की वह भारतीय बिजली के अनुरूप डिक्टाफोन अपने साथ ले जाए। ऐसा होने से मेरे लौटने पर बहुत बोझ कम होगा। यदि ऐसा प्रबन्ध कर लिया जाए कि जिस कंपनी से तुम बातचीत कर रहे हो उसके, न्यु यॉर्क वाले, दफ्तर से भारत के लिए अनुकूल डिक्टाफोन रायराम को प्राप्त हो जाए तो बहुत अच्छा रहेगा। कृपया इस पर विचार करना।

आशा है कि तुम और तुम्हारी धर्मपत्नी अच्छे हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

हस्ताक्षर


518 फ्रेडरिक स्ट्रीट
सैन फ्रांसिस्को, कैल 94117


संलग्न -1