HI/690527 - गोपाल कृष्ण को लिखित पत्र, न्यू वृंदाबन, अमेरिका: Difference between revisions

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Latest revision as of 07:17, 24 April 2022

गोपाल कृष्ण दास को पत्र


त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

केंद्र: न्यू वृंदाबन
       आरडी ३,
       माउंड्सविल, वेस्ट वर्जीनिया
       २६०४१
दिनांक......मई २७,...................१९६९

मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण दास,

कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके जप माला के साथ भेजे गए आपके पत्र की प्राप्ति को स्वीकार करता हूं, और मैंने उनका विधिवत जप किया है और आपको अपने शिष्य के रूप में दीक्षा दी है। तो आपको अपना नामजप जारी रखना है जैसा कि आप करते आएं हैं, और चूंकि आपका नाम पहले से ही गोपाल कृष्ण है, इसलिए आपका नाम बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। तो अब आप गोपाल कृष्ण दास के नाम से जाने जाएंगे। नियामक सिद्धांतों का पालन करने का प्रयास करें और दस प्रकार के अपराधों से बचें। आगे आपको यज्ञोपवीत से दीक्षित किया जाएगा, तो इस बीच आप अपने माता-पिता को उनकी असम्मति त्यागने के लिए मना लीजिए। लेकिन अगर आप व्यक्तिगत रूप से दृढ़ हैं, तो किसी भी आपत्ति का कोई सवाल ही नहीं है। किसी भी भौतिक संबंध की दलील पर कोई दूसरे की आध्यात्मिक उन्नति पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकता। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों ने सभी पारिवारिक रिश्तों का तिरस्कार कर आध्यात्मिक मार्ग को स्वीकार किया, और सबसे अच्छा उदाहरण स्वयं भगवान चैतन्य हैं। मुझे नहीं पता कि आपके माता-पिता इतने परेशान क्यों हैं, इसलिए आपको उन्हें समझाना चाहिए कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। और आपको उन्हें अपनी गतिविधियों के सभी विवरणों के बारे में क्यों सूचित करना चाहिए? बेशक एक ईमानदार पुत्र के रूप में आपने सही काम किया है। लेकिन अगर वे आपत्ति करते हैं और अगर आपको उनके आदेशों का पालन करना है, तो मुझे नहीं पता कि चीजों को कैसे समायोजित किया जा सकता है। मैं आपके माता-पिता से प्राप्त पत्र संलग्न कर रहा हूं, और साथ ही उनको दिया गया मेरा उत्तर, ताकि आप जरूरतमंदों को कर सकें।

मुझे आशा है कि आप अच्छे हैं।

आपका नित्य शुभचिंतक,

ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी