HI/700506 - कीर्त्तनानन्द को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions

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Letter to Kirtanananda (Page 2 of 2)


6 मई, 1970


मेरे प्रिय कीर्तनानन्द महाराज,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा दिनांक 3 मई, 1970 का पत्र प्राप्त हुआ है और मैं तुम्हारे उदार मनोभावों के लिए तुम्हारा बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ। हाँ, यदि मुझे कोई श्रेय जाता है तो इसी बात का, जैसे कि तुम लिखते हो, कि मैंने अपने गुरुदेव, भक्तिसिद्धान्त सरस्वती महाराज, के शब्दों का श्रवण करने का प्रयास किया। और इस से प्रकार, मैंने अपनी जिह्वा द्वारा, बिना कोई बदलाव किए, ठीक उन्हीं शब्दों को दोहराने की चेष्ठा की। वास्तव में मैं कृष्णकृपाश्रीमूर्ति का सबसे अयोग्य शिष्य हूँ, चूंकि मैंने उनके आदेश का पालन, इतने सारे वर्षों तक टाले रखा। पर यह ठीक रहा कि कुछ न करने के बजाए, मैंने देरी से सही, पर शुरुआत कर दी। और इसीलिए उन्होंने उदारतापूर्वक, इस महान आंदोलन में मेरा सहयोग करने हेतू, मेरे पास इतने सारे युवा ह्रदय भेज दिए हैं। तो कृपया अपना अच्छा सहयोग जारी रखो। और मुझे विश्वास है कि, बहुत बड़ी-बड़ी उपलब्धियां, निर्विलम्ब ही प्राप्त होंगी।

न्यु वृंदावन की गतिविधियों के बारे में मैं सोचता हूँ कि जो कुछ भी तुम कर रहे हो, वह मुझे स्वीकार है। चूंकि तुम सच्चे भाव से कृष्णभावनामृत में कार्य कर रहे हो, इसलिए कृष्ण तुम्हारे ह्रदय में से तुम्हें दिशानिर्देश दे रहे हैं। तो अस्वीकृति देने के लिए कुछ है ही नहीं।

विद्यालय के बराबर वाली संपत्ति खरीदने के मामले में मैंने देवानन्द से सूचना ली है कि, वह भूखण्ड हमारी वर्तमान भूमि से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ नहीं है। लेकिन एकमात्र सुविधा यह है कि वह सड़क पर है और हम कई प्रकार से उसका उपयोग कर सकते हैं। तो यदि कृष्ण हमें उसे खरीदने का अवसर दे रहे हैं, तो हमें अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

लेकिन कार्नीति के अनुसार, चूंकि हम अगले वर्ष मि. स्नायडर की भूमि क्रय करने की अपेक्षा कर रहे हैं, तो हो सकता है कि वह और भी संकरा हो। लेकिन भविष्य में सड़क से सटे होने की बहुत अधिक उपयोगिता होगी। इस बात में कोई संशय नहीं है।

यहां एल.ए. में हम मंदिर कक्ष बहुत सुंदरता से सजा रहे हैं। चूंकि मैं सभी को यहां आकर इसे देखना का निमन्त्रण दे रहा हूँ, मैं सोचता हूँ कि तुम्हें भी एक बार यहां आकर मन्दिर कक्ष को देखना चाहिए, जिससे तुम भी, न्यु वृंदावन में, इसी शैली में बना सको। यह बहुत कठिन नहीं है, लेकिन दिखने में बहुत भव्य है।

आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(अहस्ताक्षरित)

ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी

एसीबीएस:डी बी

परम पूज्य कीर्तनानंद महाराज
नव वृन्दावन
आरडी 3
मोउन्द्स्विल्ले
डब्ल्यू / 26041