HI/710421 - तमाल कृष्ण को लिखित पत्र, बॉम्बे: Difference between revisions
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21 अप्रैल, 1971
कलकत्ता
मेरे प्रिय तमाल कृष्ण,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। अमेरिका में, विशेषकर शिकागो के, भारतीय परिवारों का समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से श्रीमान भगवान दास द्वारा उन्हें हमारी गतिविधियों के बारे में एक समाचार पत्र डाक के माध्यम से भिजवाया जा रहा है।
मैंने एक प्रति देखी है जो कि बहुत अच्छी है। तो मैंने उससे कहा है कि, जितनी छपाईयाँ हों उनमें से भारत के आजीवन सदस्यों को एक एक प्रति तुरन्त भिजवा दी जाए। इससे उनकी प्रतिष्ठा उस स्थान विशेष में और बड़े तौर पर पूरे संघ की प्रतिष्ठा में वृद्धी होगी। इस संदर्भ में तुम कलकत्ता के सभी आजीवन सदस्यों की एक नवीनिकृत सूची तुरन्त भेज सकते हो। बम्बई के आजीवन सदस्यों इत्यादि की एक पूरी सूची भिजवाई जा चुकी है।
मैंने जयपताका को कहा है कि तुरन्त मेरे द्वारा सुझाए गए प्रकार की 25 जोड़ी जपमालाएं, रु 1/25 की दर से तुरन्त भिजवा दे। कोई उत्तर नहीं मिला है और इन जपमालाओं की आवश्यकता है। मैं नहीं जानता कि उसे मेरा पत्र मिला है या नहीं। लेकिन तुम यह संदेश पंहुचा सकते हो और उसे तुरन्त यह कार्य करना चाहिए।
आशा है कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
पश्चलेख: मुझे अभी-अभी तुम्हारा 13/4/71 का पत्र मिला है।
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