HI/720415 - बलि मर्दन को लिखित पत्र, ऑकलैंड: Difference between revisions

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His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


15 अप्रैल, 1972

मेरे प्रिय बलि मर्दन,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। बीटीजी संख्या 44 की प्रति के लिए बहुत धन्यवाद। यह बहुत अच्छी तरह से बनाई गई है। मुझे लगता है कि तुम यहां इस्कॉन प्रेस में बहुत अच्छी तरह से कार्य कर रहे हो। तो तुम यहीं पर संलग्न रहो और इसी प्रकार से सबकुछ संचालित करते रहो। जहां तक तुम्हारे जीबीसी कार्यभार की बात है, तो तुम्हारी अनुपस्थिति में यहां व ऑस्ट्रेलिया में सबकुछ भली-भांति चल रहा है। तो फिलहाल तुम्हारे यहां पर आने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं 19 तारीख को हाँग काँग जा रहा हूँ और हम वहां पर चर्चा करेंगे कि भूरिजन के सुझाव के अनुरुप क्या वह मनिला में एक केंद्र खोलेगा। फिर 20 को हम टोक्यो के लिए उड़ान भरेंगे और 6 मई को होनोलूलु पंहुचेंगे। तो मुझे बहुत अधिक संतुष्टी होगी यदि तुम वहां इस्कॉन प्रेस में ही रहो और हमारी बैक टू गॉडहेड पत्रिका की सुदरता एवं वरीयता बढ़ाते रहो और इस प्रकार से खुश रहो।

एक बात यह है कि पुस्तकों के मुनाफे बुक फंड खाते में जमा किए जाने चाहिएं। कम से कम 15%। पर हम इस पर चर्चा करेंगे।

आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी