HI/720502 - जगदीश को लिखित पत्र, टोक्यो: Difference between revisions

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Letter to Jagadisha


त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

शिविर: इस्कॉन टोक्यो (उत्तर इस्कॉन होनोलूलू)

मेरे प्रिय जगदीश,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे दिनांक 17 अप्रैल व 12 अप्रैल, 1972 के तुम्हारे पत्र प्राप्त हुए हैं और मैंने इन्हें पढ़ा है। हमें पिछली बातें भुला कर, स्वयं अपनी कमियों को सुधारने की ओर ध्यान देना चाहिए। जहां तक तुम्हारी बात है, तो मैं तुम्हारी निष्तपट सेवा के बारे में भली-भांति विश्वस्त हूँ। अपने कार्य में आगे बढ़ते चलो और अन्य निर्देश तुम्हें मिलते चले जाएंगे। तुम केवल अपने जीवन के आध्यात्मिक अंश में वृद्धि करने पर ध्यान दो। और इस प्रकार संचालन सरीखी अन्य सभी समस्याओं का समाधान बड़ी सहजता से हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि उनका निवारण, किसी कानूनी नुस्ख़े या फिर बड़ी बड़ी मीटिंगों या वार्ताओं से, संभव हो पाएगा। राजनेता काफी समय से ऐसी गोष्ठियां व वार्ताओं का आयोजन करते आ रहे हैं और विश्व की अवस्था में कोई सुधार नहीं हो पाया। और ऐसा करके उन्होंने परिस्थिति को और अधिक बिगाड़ दिया है। हमें उनके उदाहरण का अनुसरण नहीं करना चाहिए। भगवद्-भावनामृत के अभाव मात्र में यह विश्व एक अत्यन्त संकटमय स्थिति में आ गया है। इसलिए हमें इसी विषय पर बल देना चाहिए कि हमें पूरे विश्व में इस भगवद्भावनामृत की महत्ता का पुनर्स्थापन किया जाए। यही हमारा योगदान होगा।

आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(हस्ताक्षरित)

ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी


जगदीश दास अधिकारी
c / o इस्कॉन टोरंटो