HI/730127 - तूर्य को लिखित पत्र, कलकत्ता: Difference between revisions
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27 जनवरी, 1973
मेक्सिको सिटी
मेरे प्रिय तूर्य दास,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। तुम्हारे 21 दिसम्बर, 1972 के पत्र के लिए धन्यवाद। मैंने इसे ध्यानपूर्वक पढ़ा है। मैक्सिको सिटी मन्दिर से आने वाले समाचार सदा से ही उत्साहवर्धक रहे हैं। मुझे यह जान कर खुशी है कि तुम अपनी सेवाओं का और विस्तार करने के इच्छुक हो। कृष्ण असीम हैं और उनके भक्तों द्वारा की जाने वाली सेवा भी असीम होनी चाहिए। क्योंकि तुम्हारे पास राधा कृष्ण के बड़े विग्रहों की सेवा-पूजा हेतु पाँच से अदिक ब्राह्मण हैं और क्योंकि तुमने जगन्नाथ की सेवा अच्छी तरह की है, इसलिए तुम राधा कृष्ण के बड़े विग्रहों का ऑर्डर दे सकते हो। राधा कृष्ण की सेवा को बहुत ऐश्वर्यशाली बना दो, प्रचुर मात्रा में फूलों से श्रंगार कर दो, सभी उत्सवों का आयोजन करो और इस प्रकार लोगों की भारी भीड़ अपने आप मन्दिर की ओर आकर्षित होती चली जाएंगी।
तुम्हारे आग्रह अनुसार, लक्ष्मी-प्रिया दासी एवं कुशा-देवी दासी के लिए मैं गायत्री मंत्र लिखे पृष्ठ साथ में भेज रहा हूँ। अब तुम केवल भक्तों की उपस्थिति में, यज्ञ का आयोजन कर सकते हो और इन दोनों को उंगलियों पर गिनती करना सिखा सकते हो। मेरे द्वारा उच्चारित गायत्री मंत्र इन दोनों को टेप रिकॉर्डर के माध्यम से इनके दाहिने कान में सुना जा सकता है। मेरे प्रत्येक शिष्य को इतनी भली भांति प्रशिक्षित होना चाहिए कि ब्राह्मणों के सारे गुण उनमें उत्पन्न हो जाएं।
आशा करता हूँ कि यह तुम्हे अच्छी अवस्था में प्राप्त हो।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
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