HI/730429 - मधुद्विष को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions

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His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


29 अप्रैल, 1973

मेरे प्रिय मधुद्विश महाराज,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा बिना दिनांक का पत्र प्राप्त हुआ है और मैंने इसे पढ़ा है। तुम्हारा पत्र लंदन व न्यु यॉर्क आगे भेजे जाने के बाद यहां भिजवाया गया है। सुदामा विप्र के बारे में मैंने सुना है कि वह दक्षिण अमरीका में है लेकिन मैं इस बात पुष्टि करना चाहता हूँ। तो कृपया इस संदर्भ में मुझे लिखो। किन्तु तुम्हें वहां ऑस्ट्रेलिया में ही रहना चाहिए। तुम्हारे चीन जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

महाभारत का अद्ययन करने बारे में मैं पूछना चाहता हूँ कि इस प्रकार से ध्यान बांटने का क्या फ़ायदा? भागवतम् भी महाभारत है। इतनी सारी पुस्तकें हैं जिन्हें मैं पहले ही प्रस्तुत कर चुका हूँ। तो जो कुछ भी तुम्हारे पास में है उसी में दक्ष बनो। सीखने को अभी भी बहुत सारी बाते हैं।

आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी