HI/730815 - तेजियस को लिखित पत्र, भक्तिवेदान्त मैनर: Difference between revisions

(Created page with "Category:HI/1973 - श्रील प्रभुपाद के पत्र Category:HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हि...")
 
 
(No difference)

Latest revision as of 08:53, 11 May 2022

Letter to Tejiyas


त्रिदंडी गोस्वामी

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

केंद्र: भक्तिवेदान्त मैनर,
लेटचमोर हैथ, हर्ट्स, इंग्लैंड
रेडलेट, हर्ट्स के पास

15 अगस्त, 1973

मेरे प्रिय तेजियस्,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा दिनांक 1 अगस्त, 1973 का पत्र प्राप्त हुआ और मैंने उसे ध्यानपूर्वक पढ़ा है।

यदि तुम किन्हीं बड़े सरकारी अधिकारियों की हमारे आंदोलन में रुचि बना दो तो हमारा बल बढ़ेगा। चूंकि हम भौतिक जगत में हैं, इसलिए कभी-कभी हमें ऐसी सहायता की आवश्यकता पड़ती है। ऐक और बात यह है कि यदि एक सरकारी अफसर हमारा प्रशंसक या सदस्य बन जाता है तो अन्य कई अनुसरण करेंगे। तो उन्हें अनुयायी बनाने का प्रयास करो।

यह अच्छी खबर है कि हमारे उत्सव के आयोजन के लिए तुमने एल.आई.सी. मैदान प्राप्त कर लिया है। शायद उस समय मैं भारत में वापस रहुंगा। पिछली बार एल.आई.सी. उत्सव इतना विशिष्ट व सफल था कि कई सज्जन इसकी अवधि बढ़वानीं चाहते थे। तो जितनी लम्बी अवधि मिल सकती हो, उसके लिए प्रयास करो और साथ में प्रसादम वितरण भी। यदि संभव हो तो ऐसे प्रबन्ध किए जाने चाहिएं कि रसोई में प्रसाद बानाया जाता रहे और निरन्तर प्रसाद वितरण जारी रहे। दिल्ली में यह कठिन नहीं है। यदि तुम ऐसा करोगे तो जनता का धनाढ्य वर्ग अन्न, आटा, घी इत्यादि का योगदान देगा।

हमारे लोगों को अधिकृत सरकारी गाईड बनवाने का तुम्हारा विचार अच्छा है। साथ ही यदि सरकारा हमारे मन्दिर में एक-दो कमरे बनवाने को राज़ी हो जाए तो अच्छा रहेगा। यदि सम्माननीय सज्जन हमारे कृष्णभावनामृत आंदोलन में रुचि प्राप्त कर लेते हैं तो तब हमारा वृंदावन मन्दिर शीर्ष पर खड़ा होगा। चूंकि वृंदावन के बाकि सारे मन्दिर बिना किसी दार्शनिक समझ के जनसाधारण को इकट्ठा तो करते हैं। कुछ 50 वर्ष पहले कोई इसाई पादरी वृंदावन गया और उसने वहां के कई निवासियों से पूछा कि कृष्ण ने दूसरों की पत्नियों के साथ भला क्यों रास नृत्य आनन्द लिया, चूंकि यह तो वैदिक सिद्धान्तों के विरुद्ध है। लेकिन कोई भी उसे संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। इस बात पर मेरे गुरुदेव ने कहा था कि वृंदावनन में नौसिखिए भक्त रह रहे हैं। तो हमारी इच्छा है कि हमारा मन्दिर किसी को भी कृष्णभावनामृत के बारे में उत्तर देने में सक्षम हो। फिर कई आधुनिक दार्शनिक व वैज्ञानिक वृंदावन आएंगे और वह बहुत ही गौरवपूर्ण होगा।

मुझे आशा है कि यह पत्र तुम्हे अच्छी अवस्था में मिलेगा।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी

(हस्ताक्षरित)

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी

श्रीमन तेजियास दास अधिकारी
66 बाबर रोड,
बंगाली मार्केट