HI/680306 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680306SB-SAN-FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|भगवद गीता में आप पाएंगे, सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो ([[HI/BG 15.15|भ.गी. १५.१५]]) । कृष्ण कहते हैं कि "मैं सभी के हृदय में स्थित हूँ ।" सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्तः स्मृतिर् ज्ञानम अपोहनम च: "और मेरे माध्यम से व्यक्ति भूलता है और याद रखता है ।" तो क्यों कृष्ण ऐसा कर रहे हैं ? वह किसी को भूलने में मदद कर रहे है, और वह किसी को याद करने में मदद कर रहे है । क्यों ? वही जवाब: ये यथा मां प्रपद्यन्ते । यदि आप कृष्ण, या भगवान को भूलना चाहते हैं, तो वह आपको इस तरह से बुद्धिमत्ता देंगे कि आप उन्हें हमेशा के लिए भूल जाएंगे । ईश्वर की उपासना में आने का कोई मौका नहीं होगा । लेकिन यह कृष्ण के भक्त हैं । वे बहुत दयालु हैं । कृष्ण बहुत सख्त है । अगर कोई भी उन्हें भूलना चाहता है, तो वह उसे इतने मौके देंगे कि वह कभी यह नहीं समझ पाएगा कि कृष्ण क्या हैं । लेकिन कृष्ण के भक्त कृष्ण की तुलना में अधिक दयालु हैं । इसलिए वे कृष्ण भावनामृत या भगवद भावनामृत अभागी लोगों को देते हैं ।|Vanisource:680306 - Lecture SB 07.06.01 - San Francisco|680306 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - सैन फ्रांसिस्को}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680306SB-SAN-FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|भगवद गीता में आप पाएंगे, सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो (भ.गी. १५.१५)। कृष्ण कहते हैं कि "मैं सभी के हृदय में स्थित हूँ।" सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्तः स्मृतिर् ज्ञानम अपोहनम च: "और मेरे माध्यम से व्यक्ति भूलता है और याद रखता है।" तो क्यों कृष्ण ऐसा कर रहे हैं? वह किसी को भूलने में मदद कर रहे है, और वह किसी को याद करने में मदद कर रहे है। क्यों? वही उत्तर: ये यथा मां प्रपद्यन्ते। यदि आप कृष्ण, या भगवान को भूलना चाहते हैं, तो वह आपको इस तरह से बुद्धिमत्ता देंगे कि आप उन्हें सदैव के लिए भूल जाएंगे। ईश्वर की उपासना में आने का कोई अवसर नहीं होगा। परंतु यह कृष्ण के भक्त हैं। वे अत्यधिक दयालु हैं। कृष्ण बहुत सख्त हैं। यदि कोई भी उन्हें भूलना चाहता है, तो वह उसे इतने अवसर देंगे कि वह कभी यह नहीं समझ पाएगा कि कृष्ण क्या हैं। परंतु कृष्ण के भक्त कृष्ण की तुलना में अधिक दयालु हैं। इसलिए वे कृष्ण भावनामृत या भगवद भावनामृत अभागी लोगों को प्रदान करते हैं।|Vanisource:680306 - Lecture SB 07.06.01 - San Francisco|680306 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - सैन फ्रांसिस्को}}

Latest revision as of 06:24, 16 May 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
भगवद गीता में आप पाएंगे, सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो (भ.गी. १५.१५)। कृष्ण कहते हैं कि "मैं सभी के हृदय में स्थित हूँ।" सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्तः स्मृतिर् ज्ञानम अपोहनम च: "और मेरे माध्यम से व्यक्ति भूलता है और याद रखता है।" तो क्यों कृष्ण ऐसा कर रहे हैं? वह किसी को भूलने में मदद कर रहे है, और वह किसी को याद करने में मदद कर रहे है। क्यों? वही उत्तर: ये यथा मां प्रपद्यन्ते। यदि आप कृष्ण, या भगवान को भूलना चाहते हैं, तो वह आपको इस तरह से बुद्धिमत्ता देंगे कि आप उन्हें सदैव के लिए भूल जाएंगे। ईश्वर की उपासना में आने का कोई अवसर नहीं होगा। परंतु यह कृष्ण के भक्त हैं। वे अत्यधिक दयालु हैं। कृष्ण बहुत सख्त हैं। यदि कोई भी उन्हें भूलना चाहता है, तो वह उसे इतने अवसर देंगे कि वह कभी यह नहीं समझ पाएगा कि कृष्ण क्या हैं। परंतु कृष्ण के भक्त कृष्ण की तुलना में अधिक दयालु हैं। इसलिए वे कृष्ण भावनामृत या भगवद भावनामृत अभागी लोगों को प्रदान करते हैं।
680306 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - सैन फ्रांसिस्को