HI/680927 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680927LE-SEATTLE_ND_01.mp3</mp3player>|कष्ट तो हमेशा रहता | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680927LE-SEATTLE_ND_01.mp3</mp3player>|कष्ट तो हमेशा रहता है। हर कोई कष्टो से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है, यह तथ्य है। पूरा अस्तित्व का संघर्ष कष्टों से बाहर आने के लिए ही है। परन्तु इसके लिए अलग अलग तरीके है। कोई कहता है की कष्टों से बाहर इस तरह निकला जा सकता है, कोई कहता है की कष्टों से बाहर उस तरह निकला जा सकता है। विभिन्न तरीके दिए गए है आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा, दार्शनिकों द्वारा, नास्तिकों द्वारा या आस्तिकों द्वारा, कृत्रिम अभिनेताओं द्वारा, ऐसे कितने सारे है। परंतु कृष्ण भावनामृत आंदोलन के अनुसार, आप सभी दुखो से बाहर निकल सकते है यदि आप केवल अपनी चेतना को बदलते है, बस इतना ही। यही कृष्ण भावनामृत है। जैसे की मैंने आपको कई बार उदाहरण दिया है। हमारे सभी कष्ट ज्ञान के कमी के कारण है, अज्ञानता के कारण है। वह ज्ञान सही अधिकारियों के सहयोग से प्राप्त किया जा सकता है।|Vanisource:680927 - Lecture - Seattle|680927 - प्रवचन - सिएटल}} |
Latest revision as of 04:38, 30 June 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
कष्ट तो हमेशा रहता है। हर कोई कष्टो से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है, यह तथ्य है। पूरा अस्तित्व का संघर्ष कष्टों से बाहर आने के लिए ही है। परन्तु इसके लिए अलग अलग तरीके है। कोई कहता है की कष्टों से बाहर इस तरह निकला जा सकता है, कोई कहता है की कष्टों से बाहर उस तरह निकला जा सकता है। विभिन्न तरीके दिए गए है आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा, दार्शनिकों द्वारा, नास्तिकों द्वारा या आस्तिकों द्वारा, कृत्रिम अभिनेताओं द्वारा, ऐसे कितने सारे है। परंतु कृष्ण भावनामृत आंदोलन के अनुसार, आप सभी दुखो से बाहर निकल सकते है यदि आप केवल अपनी चेतना को बदलते है, बस इतना ही। यही कृष्ण भावनामृत है। जैसे की मैंने आपको कई बार उदाहरण दिया है। हमारे सभी कष्ट ज्ञान के कमी के कारण है, अज्ञानता के कारण है। वह ज्ञान सही अधिकारियों के सहयोग से प्राप्त किया जा सकता है। |
680927 - प्रवचन - सिएटल |