HI/690417 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690417LE-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|आराधितो यदी हरीस तपसा ततः किम (नारद-पंचरात्र) । गोविन्द आदि-पुरुष को हरि के नाम से जाना जाता है । हरि का मतलब है, 'जो आपके सभी दुखों को हर लेता है' । वे हरी है । हर मतलब ले लेना । हरते । जैसे, चोर भी ले लेता है, लेकिन वह भौतिक रूप से बहुमूल्य चीजें ले जाता है, कभी कभी कृष्ण भी आप के ऊपर विशेष कृपा करने के लिए आपकी भौतिक कीमती चीज़ों को ले लेते है । यस्याहं अनुगृह्णामी हरिष्ये तद-धनं शनैः ([[Vanisource:SB 10.88.8|श्री.भा. १०.८८.८]])"|Vanisource:690417 - Lecture - New York|690417 - प्रवचन - न्यूयार्क}}
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Revision as of 05:04, 20 September 2022

Nectar Drops from Srila Prabhupada
आराधितो यदी हरीस तपसा ततः किम (नारद-पंचरात्र)। गोविन्द जो आदि-पुरुष हैं उन्हें हरि के नाम से भी जाना जाता है। हरि का अर्थ है, 'जो आपके सभी दुखों को हर लेते हैं'। वे हरी हैं। हर का अर्थ आपसे कुछ ले लेना। हरते। जैसे, चोर भी हमसे कुछ ले लेता है, परंतु वह भौतिक रूप से बहुमूल्य चीजें ले जाता है, कभी कभी कृष्ण भी आप के ऊपर विशेष कृपा करने के लिए आपकी भौतिक कीमती चीज़ों को ले लेते है। यस्याहं अनुगृह्णामी हरिष्ये तद-धनं शनैः (श्री.भा. १०.८८.८)(श्री.भा. १०.८८.८)"
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