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Nectar Drops from Srila Prabhupada
एक साधु सभी जीवधारियों का मित्र होता है । वह केवल मनुष्यों का ही नहीं होता । वह पशुओं का भी मित्र होता है । वह पेड़ों का भी मित्र है । वह चींटियों, कीड़ों मकोड़ों, रेंगने वाले जीव-जन्तुओं, साँपों और प्रत्येक जीव के मित्र होता हैं । तितिक्षव: कारूणिका: सुह्द: सर्वदेहिनाम । और अजातशत्रु । और क्योंकि वह सभी का मित्र है, इसलिए उसका कोई शत्रु नहीं है । लेकिन दुर्भाग्यवश यह जगत इतना धर्मनिन्दक है कि ऐसे साधु के भी दुश्मन हैं । जिस प्रकार भगवान जीसस क्राईस्ट के भी कुछ शत्रु थे, महात्मा गाँधी के भी कुछ शत्रु थे, जिन्होंने उन्हें मृत्यु के घाट उतार दिया । अत: यह जगत इतना विश्वासघाती है । और देखो कि ऐसे साधु के भी शत्रु हो सकते हैं । लेकिन साधु की तरफ़ से उसका कोई शत्रु नहीं होता । वह तो सब का मित्र है । तितिक्षव कारूणिका सुह्द सर्वदेहिनाम । (श्री.भा. ३.२५.२१) । और अजात-शत्रव: शान्त:, सदैव शान्त रहता हैं । यही एक साधु, संत पुरूष के गुण हैं ।
660530 - भ.गी. ३.२१-२५ - न्यूयार्क



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