HI/681110 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 00:15, 13 February 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
समाज में जो लोग बद्ध हैं, मित्रता और प्रेम, यह भौतिक जीवन के लिए आकर्षण है। "समाज, मित्रता और प्रेम," वे सोचते हैं, "भगवान ने मनुष्य को दिया है।" लेकिन यह, यह मनुष्य को भगवान द्वारा नहीं दिया गया है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, यह माया का उपहार है। समाज, मित्रता और प्रेम माया, भ्रम का उपहार है। दरअसल, जिस समाज से हम जुड़ते हैं, और जो दोस्ती हम यहाँ बनाते हैं, और तथाकथित प्रेम, कब तक? अब, मान लीजिए मैं अब मानव समाज में हूँ। मैं कब तक मानव समाज में रहूँगा? मैं अपने अगले जीवन या अगले समाज में स्थानांतरित किये जाने की तैयारी कर रहा हूँ। मुझे कुत्ते के समाज में स्थानांतरित किया जा सकता है। और मेरा स्थानांतरण हो सकता है .... मुझे देव समाज में स्थानांतरित किया जा सकता है। वह मेरे काम पर निर्भर करेगा।
681110 - प्रवचन SB 03.25.13 - लॉस एंजेलेस