HI/750127 बातचीत - श्रील प्रभुपाद टोक्यो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 05:27, 9 October 2021 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"असुर का अर्थ है मूर्ख, प्रथम श्रेणी का मूर्ख, बस इतना ही। ऐसा क्यों हो गया है? यह यहाँ समझाया गया है, कि वे नहीं जानते कि कैसे व्यवहार करना है, नापि चाचारो न सत्यं तेषु विद्यते (बीजी १६.७), न तो वे जानते हैं कि वास्तविक सत्य क्या है। वे स्वयं दोषपूर्ण हैं, और वे अपने दोषपूर्ण तरीके से समझा रहे हैं कि… इतने सारे धूर्त रसायनज्ञ, वे कहते हैं कि रासायनिक विकास जीवन का कारण है। क्या है यह बकवास? रासायनिक विकास, आप रसायन प्राप्त करें और एक प्रयोग करें और जीवन उत्पन्न कर के दिखाइए। तब आपका प्रस्ताव ठीक रहेगा कि रासायनिक विकास से जीवन उत्पन होता है। नहीं, यह संभव नहीं है। आपके पास सभी रसायन हैं। क्यों नहीं आप उन रसायनों को फिर से जीवन में इंजेक्ट करके एक मरे हुए आदमी को पुनर्जीवित करते हैं? आपकी शक्ति कहां है? तो आप ऐसी मूर्खतापूर्ण बात क्यों करते हैं? इसे चुनौती दी जानी चाहिए, कि "आप एक नंबर के मूर्ख हैं।"
750127 - बातचीत - टोक्यो