HI/730722b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"बंगाली में कहावत है, भजन कर साधन कर मूर्ति यानरे हय। अर्थात आप बहुत अच्छे भक्त हो सकते हैं। वह अच्छा है। किंतु मृत्यु के समय पर इसका प्रशिक्षण किया जायेगा की आप कैसे कृष्ण को याद करते हैं। वह होगी परीक्षा। मृत्यु के समय पर, यदि हम भूल गए, एक तोते की तरह बन गए . . . जैसे एक तोता है वह भी जप करता है "हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण" लेकिन जब बिल्ली उसका गला पकड़ लेती है, "टैं! टैं! टैं! टैं!" कृष्ण नही। कृष्ण नही। तो बनावटी अभ्यास हमारी मदद नहीं करेगा। फिर "टैं! टैं!"। कफ पित्त वातैः, कंठावरोधन-विधौ स्मरणम कुतस ते (म.म ३३)। तो हमे एकदम आरंभ से कृष्ण भावनामृत का अभ्यास करना होगा अगर हम सच में हमारे घर वापस जाना चाहते हैं, भागवत धाम वापस जाना चाहते हैं। ऐसा नहीं की इसे अपने जीवन के अंतिम दो या तीन साल के लिए छोड़ दे। यह इतना आसान नहीं। यह इतना आसान नहीं।"
730722 - प्रवचन भ.गी ०१.२८-२९ - लंडन