HI/Prabhupada 1042 - मैं आपके मोरिशियस में देखता हूं, आपके पास अनाज के उत्पादन के लिए पर्याप्त भूमि है
751002 - Lecture SB 07.05.30 - Mauritius
तो इन बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, कि कैसे वे पापी गतिविधियों में लगे हुए हैं । और समाधान भगवद गीता में दिया गया है कि " "खाद्यान्न का उत्पादन करो ।" अन्नाद भवंति भूतानि (भ गी ३।१४) । तो मैंने अापके इस मॉरिशस भूमि में देखा है कि आपके पास खाद्यान्न का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त भूमि है । तो आप खाद्यान्न का उत्पादन करें । मुझे पता चलता है कि बजाय खाद्य अनाजों का उत्पादन करने के, आप निर्यात के लिए गन्ने उगा रहे हैं । क्यूँ ? और अाप खाद्यान्न पर निर्भर हैं, चावल, गेहूं, दाल पर। क्यूँ ? क्यों इस प्रयास ? आप सब से पहले अपनी खुद की खाद्य सामग्रियों को उगाऍ और अगर समय बचता है और अगर अापकी आबादी के पास पर्याप्त खाद्यान्न हो, तो आप निर्यात के लिए अन्य फलों और सब्जियों का विकास करने की कोशिश कर सकते हैं । पहली आवश्यकता है कि आपको आत्मनिर्भर होना चाहिए । यही भगवान की व्यवस्था है । हर जगह खाद्यान्न का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त भूमि है । न केवल अापके देश में; मैंने दुनिया भर में यात्रा की है - अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य, अमेरिका में भी । इतनी भूमि खाली पडी हैं, कि अगर हम खाद्यान्न का उत्पादन करते हैं, तो फिर हम वर्तमान समय में दस गुणा ज्यादा जनसंख्या को खिला सकते हैं । कमी का कोई सवाल ही नहीं है । सारी सृष्टि इस तरह से बनाई गई है श्री कृष्ण द्वारा कि सब कुछ है पूर्ण है, पूर्णं । पूर्णं इदं पूर्णं अद: पूर्णात् पूर्णं उद्यच्ते पूर्णस्य पूर्णं अादाय पूर्णं एवावशिष्यते (ईषो मंगलाचरण) । अगर हम खाद्यान्न का उत्पादन नहीं करते हैं - आपको आवश्यकता है - अनावश्यक रूप से पुरुषों को अाभाव में डालते हो, यह पाप है । यह पाप है ।