HI/701217 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सूरत में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो यह आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण आंदोलन है। सभी को गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए और इस पर अमल करना चाहिए। भौतिक अस्तित्व के भ्रामक विचार से विवेक नहीं खोना चाहिए। सर्वोपाधि-विनीर्मुक्तम (vanisource:CC Antya 20.12।चै.च. अन्त्या २०.१२]
[[ यह बहुत आसान है। यदि आप बस इस हरे कृष्ण मंत्र का जाप करते हैं, चैतन्य महाप्रभु ने कहा, चेतो-दर्पण-मार्जनम (vanisource:CC Antya 20.12।चै.च. अन्त्या २०.१२]-तुरंत ही आपके दिल के भीतर की सारी भ्रांति साफ हो जाएगी। यह गलत धारणा है: "मैं यह शरीर हूं।" "मैं अमेरिकी हूं," "मैं भारतीय हूं," "मैं ब्राह्मण हूं," "मैं गुजराती हूं," "मैं बंगाली हूं।" ये सभी गलत धारणाएं हैं। आप इश्वर, कृष्ण के अंश हैं। यही आपकी पहचान है।"|Vanisource:701217 - Lecture SB 06.01.32-33 - Surat]]