HI/730713 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम सही जानकारी दे रहे हैं कि मानव वास्तव में कैसे खुश रह सकता है। यह अंत है। यह धार्मिक भावना नहीं है। धर्म का मतलब एक प्रकार का विश्वास है। आज मैं हिंदू हूं, कल मैं ईसाई हूं, अगले दिन मैं मुहम्मदैन हूं। मैं तथाकथित विश्वास को बदलकर क्या फायदा प्राप्त कर सकता हूं? जब तक मैं यह नहीं समझता कि मेरी संवैधानिक स्थिति क्या है, मैं क्यों पीड़ित हूं, इससे कैसे बाहर निकला जा सकता है ... यह वास्तविक जीवन है। यह कृष्ण चेतना आंदोलन है। यह एक भावुक धार्मिक विश्वास नहीं है। यह ऐसा नहीं है। यह मनुष्य के लिए नितांत आवश्यक है। हम इंसान की बात कर रहे हैं क्योंकि इंसान के बिना कोई भी नहीं हो पाएगा ... बिल्लियां और कुत्ते, वे समस्या को समझ नहीं पाएंगे। जीवन के मानव रूप में आप जीवन की सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यह एक विज्ञान है, उस समाधान को कैसे बनाया जाए, यह हम सिखा रहे हैं।”
730713 - बातचीत - लंडन